विश्व निमोनिया दिवस : बच्चों में नजर आए यह लक्षण तो तुरंत जाएं डॉक्टर के पास

लंदन : आज विश्व निमोनिया दिवस है। प्रत्येक वर्ष 12 नवंबर को पूरी दुनिया में वर्ल्ड निमोनिया डे मनाया जाता है। सर्दी के मौसम में निमोनिया के मामले ज्यादा आते हैं। इस बीमारी से पांच साल से कम उम्र के बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं। कुछ दिन पहले ही निमोनिया से जुड़ी एक रिपोर्ट भी सामने आई थी।
एक अध्ययन में चेतावनी दी गयी है कि आसानी से उपचार किये जाने योग्य बीमारी निमोनिया से भारत में 2030 तक 17 लाख से अधिक बच्चों के मरने की की आशंका है। विश्व निमोनिया दिवस के मौके पर जारी अध्ययन में पाया गया है कि इस संक्रामक बीमारी के चलते 2030 तक पांच साल से कम उम्र के 1.1 करोड़ बच्चों की मौत होने की आंशका है।
ब्रिटेन स्थित गैर सरकारी संगठन ‘सेव द चिल्ड्रन' की यह रिपोर्ट कहती है कि इस रोग के चलते सबसे अधिक मौतें नाइजीरिया, भारत, पाकिस्तान और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में हो सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार इनमें से एक तिहाई यानी 40 लाख से अधिक मौतें टीकाकरण, उपचार और पोषण की दरों में सुधार के ठोस कदम से आसानी से टाली जा सकती हैं।
दुनियाभर में यह बच्चों के लिए सबसे बड़ी जानलेवा संक्रामक बीमारी है। मलेरिया, दस्त एवं खसरा को मिलाकर जितनी मौतों होती हैं, उससे कहीं ज्यादा अकेले इस बीमारी से मौतें होती हैं। वर्ष 2016 में 880,000 बच्चों की इस बीमारी से जान चली गयी। उनमें से ज्यादातर दो साल से कम उम्र के थे। यह सबसे हाल का वर्ष है जिसके लिए इस बीमारी के संदर्भ पूरे आंकड़े उपलब्ध हैं।
सेव द चिल्ड्रेन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पॉल रोनाल्ड्स ने कहा, ‘‘यह विश्वास करना काफी मुश्किल है कि हर साल दस लाख बच्चे एक ऐसी बीमारी से मर रहे हैं जिसे हराने के लिए हमारे पास ज्ञान और संसाधन हैं।''
इस अध्ययन के अनुसार वर्तमान रुझान के हिसाब से 2030 तक इस बीमारी से करीब 10,865,728 बच्चे मौत की मुंह में जायेंगे। सबसे अधिक 1,730,000 बच्चे नाइजीरिया में, 1,710,000 बच्चे भारत में, 706,000 बच्चे पाकिस्तान में और 635,000 बच्चे कांगो में मौत के मुंह समा जायेंगे।
निमोनिया के लक्षण
डॉक्टरों ने बताया कि बुखार या जुकाम होने के बाद निमोनिया होता है और यह 10-12 दिन में ठीक हो जाता है। वायरस, बैक्टीरिया व फंगस के अलावा दूसरे संक्रमित लोगों के संपर्क में आने के कारण निमोनिया होता है। निमोनिया में बुखार के साथ बलगम वाली खांसी, सीने में हल्का दर्द होता है। नवजात व छोटे बच्चों की इम्युनिटी कम होती है इसलिए वे जल्द ही निमोनिया के शिकार हो जाते हैं।