धनतेरस पर PM मोदी ने दी शुभकामना, जानिए परम्परा के पीछे की दिलचस्प धार्मिक कहानी

नई दिल्ली: आज धनतेरस है। लिहाजा बाजार में इसकी धूम साफ देखी जा सकती है। लोग आज धातु या फिर यांत्रिक सामानों की खरीदारी करते हैं। त्यौहार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को धनतेरस की शुभकामना दी है।
धनतेरस के पावन अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान धन्वंतरि हम सबको जीवन में सुख, समृद्धि एवं उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें। — Narendra Modi (@narendramodi) November 5, 2018
Greetings on the auspicious occasion of Dhanteras. May this special day enhance the spirit of peace and prosperity in our society.
भले समाज कितना ही आधुनिक क्यों न हो जाय। कुछ धार्मिक परंपराएं अपने मूल रूप में आज भी कायम है। इन्हीं में एक है धनतेरस। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन धन्वतरि त्रयोदशी मनाने की परंपरा है। दरअसल ये महर्षि धन्वन्तरि की जयंती का पर्व है। जो वक्त के साथ अपभ्रंश होते हुए धनतेरस बन गया।
बता दें कि धन्वन्तरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि धन्वंतरि जन्म के समय हाथ में अमृत कलश लेकर पैदा हुए थे। इस अमृत कलश को मंगल कलश भी माना गया। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक खुद भगवान विश्वकर्मा ने धातु से बने अमृत कलश का निर्माण किया था। इसी चलते आज भी धनतेरस के दिन धातु के बर्तन खरीदने की परंपरा कायम है।
हालांकि पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि धनतेरस के दिन धातु के बर्तन खरीदने की परंपरा कब से शुरू हुई। धनतेरस को लेकर किंवदंती भी है, कहते हैं देवताओं और असुरों के समुद्र मंथन के बाद धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। कहते हैं धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। महर्षि धन्वंतरि को विष्णु का अवतार माना जाता है।
परंपरा के मुताबिक धनतेरस की शाम को यम का दिया निकाला जाता है। यम को दिया दिखाकर यह प्रार्थना की जाती है कि वे घर में प्रवेश न करें। कहते हैं एक बार राजा हिम ने अपने पुत्र की कुंडली बनवायी। कुंडली के मुताबिक शादी के ठीक चौथे दिन राजा पुत्र को सांप डंस लेता और उसकी मौत हो जाती। शादी के बाद युवराज हिम की पत्नी को ये बात पता चली। तो उन्होंने हर हाल में यम से पति को बचाने की योजना बनाई।
तेलंगाना के इन इलाकों में ऐसे मनाते हैं दीपावली, देशभर से अलग है परंपरा
शादी के चौथे दिन युवराज के कमरे के बाहर पत्नी से सभी जेवर जेवरात रख दिए और रात भर उसने पति को जगाए रखा। कहते हैं सांप के रूप में डंसने के लिए यमराज आए तो वे आभूषणों के ढेर को पार नहीं कर सके। इस तरह युवराज की जान बच गई। तभी से लोग सुख समृद्धि और लंबी आयु के लिए यम की पूजा करने लगे। साथ ही आभूषणों की भी खरीदारी करने लगे।
वक्त के साथ धनतेरस को आभूषणों और बर्तनों से जोड़ दिया गया। हालांकि आर्थिक क्षमता के मुताबिक लोग खरीदारी करते हैं। देशभर में धनतेरस को लेकर करोड़ों का कारोबार होता है।