हैदराबाद: प्रख्यात लेखक और पूर्व IAS अधिकारी नरेंद्र लूथर के निधन पर CM केसीआर ने जताया शोक

हैदराबाद: पूर्व आईएएस अधिकारी और एकीकृत आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव रहे प्रख्यात लेखक नरेंद्र लूथर (Narendra Luther) का आज निधन हो गया। उन्हें सांस संबंधी बीमारी थी और वे काफी समय से बंजारा हिल्स (Banjara Hills) स्थित केयर हॉस्पिटल में इलाज करा रहे थे। 89 साल की उम्र में नरेंद्र लूथर ने दुनिया को अलविदा कहा। नरेंद्र लूथर की पहचान सक्षम पदाधिकारी के साथ ही उनकी लेखनी के चलते भी है। उन्होंने अपने जीवन काल में एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखीं। इनमें ज्यादातर किताबें हमें हैदराबाद के इतिहास से रूबरू करवाती है।
1955 बैच के आईएएस अधिकारी नरेंद्र लूथर की किताब 'हैदराबाद: ए बायोग्राफी' खासी लोकप्रिय है। जिसमें हैदराबाद महानगर के विकास से जुड़ी तमाम तथ्यात्मक जानकारियां दर्ज हैं। इसके अलावा 'प्रिंस, पोएट, लवर, बिल्डर मोहम्मद कुली कुतुब शाह', लश्कर, द स्टोरी ऑफ सिकंदराबाद, दि प्रिंस ऑफ फोटोग्राफर राजा दीन दयाल जैसी किताबें लोगों में हैदराबाद के प्रति दिलचस्पी को और जगाती है।
नरेंद्र लूथर का फिल्मों के प्रति भी आकर्षण था। उन्होंने हैदराबाद के बंजारा हिल्स इलाके पर एक डॉक्युमेंट्री प्रोड्यूस की थी जिसका नाम है 'रॉक्यूमेंट्री'। दरअसल लूथर को पहाड़ और पत्थरों पर विशेषज्ञता हासिल थी। तभी तो उन्होंने हैदराबाद की पथरीली धरती पर लंबे समय तक शोध किया था।
पंजाब के होशियारपुर में जन्में थे लूथर
नरेंद्र लूथर का जन्म पंजाब के होशियारपुर में सन् 1932 में हुआ था। लूथर का बचपन पाकिस्तान के लाहौर में बीता था। देश विभाजन के बाद नरेंद्र लूथर का परिवार अमृतसर में आकर बस गया। नरेंद्र लूथर ने अपनी किताब 'A Bonsai Tree' में पाकिस्तान में बिताये दिनों और बंटवारे को लेकर वृत्तांत लिखा है। लूथर के परिवार में फिलहाल उनकी पत्नी बिंदी लूथर, बेटा राहुल लूथर और बेटी संध्या लूथर हैं।
मुख्यमंत्री केसीआर ने जताई संवेदना
तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने नरेंद्र लूथर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट की है। केसीआर ने प्रशासनिक महकमे में लूथर के किये अच्छे कामों को याद किया। बता दें कि एकीकृत आंध्र प्रदेश में बतौर आईएएस अधिकारी नरेंद्र लूथर ने विभिन्न विभागों में अपनी सेवाएं दी थी। अंत में राज्य के मुख्य सचिव के तौर पर वे सेवानिवृत्त हुए थे। वास्तव में हैदराबाद को समझने के लिए नरेंद्र लूथर की लिखी किताबें काफी सहायक होती हैं।