आखिर गांधी हॉस्पिटल में क्यों खाली पड़े हैं 71 फीसदी बेड, जानिए ये वजह

हैदराबाद : तेलंगाना में लगातार बढ़ रहे कोरोना मरीजों की संख्या के बावजूद लोग हॉस्पिटल में इलाज कराने से कतरा रहे है। दरअसल इसके पीछे की वजह यह है कि ज्यादातर संक्रमित मरीज अब होम आइसोलेशन के जरिए ही अपना इलाज करा रहे है। इस वजह से राज्य में सरकारी प्राइवेट हॉस्पिटल में खाली बेड की संख्या इजाफा हुआ है।
सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटलों में बेड की हालत
आंकड़ों की मानें तो सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटलों में खाली बिस्तरों की संख्या 13,140 है। वहीं कुल बिस्तरों की कुल संख्या 18,058 (अक्टूबर 5 तक) है। एक लाख कोरोना मामलों के बीच राज्य में 20,000 सरकारी बिस्तर थे, लेकिन अब केवल 8,861 ही उपलब्ध हैं। गांधी अस्पताल, जो सभी गंभीर रोगियों को लेता है, में 71 फीसदी से अधिक बेड खाली हैं। एक बिस्तर विश्लेषण से पता चलता है कि सामान्य बेड के लिए सरकारी अस्पतालों में, उपयोग की दर 18% है, इसके बाद 41% (ऑक्सीजन बेड) और 23% (आईसीयू बेड) है। निजी अस्पतालों में बिस्तरों के प्रतिशत उपयोग से पता चलता है कि इस्तेमाल करने वालों की दरक्रमशः 27%, 34% और सामान्य, ऑक्सीजन, आईसीयू के लिए 31% है।
गांधी हॉस्पिटल में खाली पड़े 71 फीसदी बेड
गांधी हॉस्पिटल में कुल 1890 बेड उपलब्ध है। इनमें केवल 543 बेड्स पर ही कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा है। बाकी के 1,347 बिस्तर खाली है। जानकारी के अनुसार गांधी हॉस्पिटल में उपलब्ध 390 रेग्युलर बेड्स में 21 मरीजों का इलाज किया जा रहा है। बाकी के 369 खाली हैं। 1000 आक्सीजन युक्त बिस्तरो में 122 मरीज है। जबकि बाकी 878 खाली हैं। यहां उपलब्ध 500 आईसीयू युक्त बिस्तरों में 400 बिस्तरों पर मरीज हैं। बाकी 100 आईसीयू बिस्तर खाली हैं। इस प्रकार गांधी हॉस्पिटल में 71.2 फीसदी बेड कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए खाली पड़े हुए हैं। वहीं टिम्स औ गच्ची बाउली 1261 बिस्तर खाली हैंष इसमें से केवल 169 बिस्तरों पर इलाज चल रहा है।