सड़कों पर सरेआम हो चुकी हैं कत्लेआम की पांच वारदातें, इंसानी संवेदना पर लगा प्रश्न चिन्ह

हैदराबाद : रामगिरी मंडल के कल्वचर्ला गांव में दिन दहाड़े सड़क पर हाईकोर्ट के वकील दंपति की हत्या करते वक्त मौके पर 100 से अधिक लोग मौजूद थे। इसके बावजूद इस संगीन वारदात को किसी ने भी रोकने की जहमत नहीं उठाई। इस बात से ये जाहिर हो गया कि दिनों-दिन समाज में मानवीयता घटती जा रही है। गौरतलब है कि पुरानी रंजिश के कारण हुई दोहरी हत्या ने राज्यभर में खलबली मचा दी है। घात लगाकर दिन दहाड़े बीच सड़क पर बेहरमी के साथ वकील दंपति की हत्या करना चिंता का विषय है।
मंथनी डिपो की दो आरटीसी बसों में सवार यात्री वकील दंपति की हत्या को देखते रहे और हमलावरों के मौके से फरार होने के बाद बस से उतरे। यही नहीं, कल्वाचर्ला के साथ आस-पास के गांव के लोग, रास्त से गुजरने वाले दुपहिया चालक सहित 100 से अधिक लोग वहीं रुक गए। हमलावर वकील दंपति की मौत होने तक हंसिये से उनपर वार करते रहे और लोग अपने सेलफोन से पूरी घटना का वीडियो रिकार्डिंग करने में व्यस्त रहे। किसी ने भी हमलावरों को रोकने का साहस नहीं किया, लेकिन हमलावरों के मौके से फरार होने के बाद खून से लथपथ और आखिरी सांसें गिन रहे वकील के पास पहुंचे और घटना की जानकारी जुटाने का नाटक करते हुए वीडियो निकालते दिखे।
दिन दहाड़े हुई इस संगीन वारदात के 100 से अधिक गवाह हैं जिसमें अधिकांश लोगों ने घटना के वीडियो और फोटोज लिए हैं। उसके बाद से सोशल मीडिया में पोस्ट और स्टेट्स रखते हुए वही लोग पुलिस और राजनीतिक नेताओं की निंदा कर रहे हैं, जो वारदात के वक्त घटनास्थल पर मौजूद थे। यही नहीं, पूरी हत्या को एक उत्सव की तरह देखते रहे और वहां से चले जाने के बाद जिम्मेदारी, समाज, अन्याय का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पर वारदात का खंडन कर रहे हैं। वास्तव में इस नृशंस हत्या के गवाह सैकड़ों की तादाद में हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर उनमें से कितने लोग कोर्ट पहुंचकर अपनी गवाह देंगे?
घिनौनी हरकत...
राजनीतिक नेताओं के इस तरह की वारदात को अंजाम देने को जघन्य कार्रवाई कही जा सकती है। हाईकोर्ट के वकील गट्टू वामनराव और पीवी नागमणि का पीछा करके उनपर हंसिये से हमला किया गया। ऐसे भी राज्य में ऐसी पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई घटनाएं घटी हैं और उनमें पीड़ित और आरोपी दोनों आम लोग थे। परंतु बुधवार की घटना में राजनीतिक नेताओं का हाथ होने से समाज में एक तरह का खौफ देखने को मिल रहा है। इससे पहले भी दिन दहाड़े कई हत्याएं हैदराबाद में हुई हैं। अब इस तरह की विकृत संस्कृति के गांवों तक फैल जाने से आम लोगों की चिंता बढ़ गई है।
पत्थर से कूच कर
(राजेंद्रनगर हत्या, 11 जनवरी, 2021)
11 जनवरी 2021 की देर रात राजेंद्रनगर में हुई हत्या से खलबली मची थी। एक राजनीतिक पार्टी से जुड़े खलील की अत्तापुर में बीच रोड पर सरेआम निर्मम हत्या कर दी गई। छड़ से हमला करके उसकी हत्या कर दी। बाद में हमलावरों ने पत्थर से शव को कूचकर अपनी हैवानियत को प्रदर्शित किया था। इस हत्या का कई वाहन चालकों ने सेलफोन पर वीडियो लेकर सोशल मीडिया पर वायरल किया था।
पंजागुट्टा थाने के सामने...
(26 जून 2019)
हैदराबाद के बीचों-बीच स्थित पंजागुट्टा थाने के सामने हुई हत्या ने खलबली मचाई थी। सैयद अनवर नाम के ऑटो चालक पर रियासत नाम के एक अन्य ऑटो चालक ने चाकू से हमला किया। हमले में गंभीर रूप से जख्मी सैयद अनवर जान बचाने की कोशिश में पंजागुट्टा थाने के भीतर भागा। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसे गांधी अस्पताल भेज दिया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। ये पूरी घटना सीसी कैमरों में रिकार्ड हुई थी।
करीब जाने से कांपती रही पुलिस
(28 नवंबर 2018, नयापुल मर्डर)
28 नवंबर 2018 को नयापुल ब्रिज के बगल में पुलिस के सामने ऑटो ड्राइवर की गला रेतकर हत्या कर दी गई। शकीर खुरेशी और अब्दुल खाजा दोनों ऑटो चालक थे। ऑटो किराये को लेकर दोनों के बीच मतभेद पैदा हुए थे। इसी क्रम में अब्दुल खाजा ने चाकू से हमला करके शकीर खुरैशी की हत्या कर दी और उसके बाद हाथ में चाकू लेकर पूरे इलाके में जमकर हंगामा किया था। इस हत्या के बाद पुलिस ने आरोपी को रोकने की कोशिश करना तो दूर उसके पास जाने का प्रयास तक नहीं किया।
पुलिस के सामने हत्या
(26 सितंबर 2018, अत्तापुर मर्डर)
26 सितंबर 2018 को अत्तापुर के पिलर नंबर 138 के पास दो व्यक्तियों ने हंसिये से हमला करके रमेश नाम के युवक की निर्मम हत्या कर दी। महेश नाम के युवक के हत्या मामले में रमेश आरोपी था। उसी मामले में अदालत में पेश होकर लौटने के दौरान महेश के पिता ने एक अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर रमेश की अत्तापुर के पास पहुंचते ही कुल्हाड़ियों से हमला करके उसकी हत्या कर दी। इस हत्या के वक्त पुलिस और पेट्रो कार के कर्मचारी मौके पर मौजूद थे, लेकिन कुछ नहीं कर पाए।
समाज में राह चलते लोगों के प्रति खत्म हो रहा सरोकार
समाज में राह चलते लोगों के प्रति सरोकार खत्म होता जा रहा है। आज के समय लोग किसी पर जुल्म होते देखकर भी कन्नी काटकर निकल जाते हैं, जबकि वो भी एक दौर था कि दूसरे को बचाने के लिए जान की बाज लगाने से लोग पीछे नहीं हटते थे।