अपने लेखन से कमाल कर रही नन्ही अभिजीता गुप्ता, हिंदी के इस प्रसिद्ध कवि से है गहरा नाता

छोटी सी उम्र में दिखा रही लेखन का कौशल
कम उम्र की लेखिका बनी अभिजीता गुप्ता
जिस उम्र में बच्चों के हाथ में खिलौने होते हैं और उन्हें पढ़ाई करने को भी कहना पड़ता है उस उम्र में इस नन्ही लेखिका ने कॉपी और कलम थाम ली और लिखने लगी कविताएं। आज उसकी इन कविताओं की किताब भी छप चुकी है और उसका लेखन जारी है क्योंकि अभी तो शुरुआत है और उसे तय करना है एक लंबा सफर।
इस नन्ही लेखिका (Writer) का नाम है अभिजीता गुप्ता (Abhijita gupta) , जो सिर्फ 7 साल की है और लिखना उसका पैशन है, उसका शौक है और जब लॉकडाउन में सब कुछ बंद था, स्कूल बंद थे और बाहर जा नहीं सकते थे तो अभिजीता की लेखन कला उभरकर सामने आई। अभिजीता अंग्रेजी में कविताएं व कहानियां लिखकर सबको चौंका देती है।
अभिजीता कविता के साथ-साथ कहानियां भी लिखती है और अब तो उसकी एक किताब जिसका नाम है 'हैप्पीनेस आल अराउंड' छप भी चुकी है और नन्ही लेखिका का खिताब उसके सर पर सज भी गया है। इस किताब को न सिर्फ पसंद किया जा रहा है बल्कि लोग अभिजीता के कौशल की, लेखन की तारीफ भी कर रहे हैं।
पांच साल की उम्र से शुरू किया लेखन
गुरुग्राम में रहने वाली अभिजीता ने पांच साल की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था पर लॉकडाउन के समय उसे काफी समय मिला जिसका उसने सदुपयोग किया और फिर छप गई उसकी किताब। अपने लेखन के बारे में अभिजीता कहती है कि, 'मेरे मन में जो भी आता है मैं उसे पेपर पर लिख देती हूं और मुझे लिखना बहुत अच्छा लगता है।' अभिजीता दूसरी कक्षा की छात्रा है जो समय निकालकर कविताएं और कहानियां लिखती रहती थी।
माता-पिता करते हैं बिजनेस
अभिजीता के माता-पिता अनुप्रिया और आशीष गुप्ता का लेखन से कोई नाता नहीं है। वे बिजनेस करते हैं। मां अनुप्रिया कहती हैं कि अभिजीता खाली नहीं बैठ सकती, जब भी उसे समय मिलता है वह लिखती रहती है। लॉकडाउन में भी उसने पेन और कॉपी की ही मांग की जिससे कि वह लिख सके, लिखती रह सके।
हिंदी के इस प्रसिद्ध कवि से है गहरा रिश्ता
सवाल यह उठता है कि अभिजीता में यह लेखन का कौशल, यह प्रतिभा कहां से आई जबकि उसे माता-पिता तो बिजनेस करते हैं, तो इसका जवाब यह है कि उसका रिश्ता हिंदी के राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त से है। जी हां, अभिजीता मैथिलीशरण गुप्त की पड़पोती है। यहां यही कहा जा सकता है कि उसे यह कला अपने पूर्वज से ही मिली है। दोनों में अंतर ये है कि जहां गुप्त जी हिंदी में लिखते थे वहीं अभिजीता अंग्रेजी में।
यहां से मिलती है प्रेरणा
अभिजीता कहती है कि उसे लिखने की प्रेरणा अपने आस-पास की चीजों से, मौसम से, माता-पिता के साथ ही दोस्तों से मिलती है और जो भी मन में आता है वह तुरंत लिख देती है। अभिजीता की किताब को इन्विंसिबल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। खास बात ये है कि बच्चों की सोच, उनकी भावनाएं, उनकी पसंद-नापसंद इस किताब में है तो यह बच्चों की पसंदीदा किताब बन गई है और वे इसे जमकर खरीद रहे हैं। वहीं बड़े लोगों का भी कहना है कि काफी अच्छी किताब है और भरोसा ही नहीं आता कि कोई छोटी सी लड़की इतना सब लिख सकती हैं। अभिजीता की किताब की दस हजार कॉपी छप चुकी हैं और इसके लिए बतौर एडवांस 3 लाख रुपये दिए गए। छोटी सी उम्र में इतना अच्छा लिखना और लेखन से इतना कमाने वाली पहली नन्ही लेखिका है अभिजीता जिसे हर दिन नए खिताब से नवाजा जा रहा है।
अभिजीता जहां बिल्लियों को पसंद करती है, उनके साथ खेलती है वहीं उसे रस्किन बॉंड को पढ़ना पसंद है। जहां अभिजीता मां के साथ पढ़ती है वहीं पिता के साथ खूब एंजॉय करती है। जब उससे पूछा जाता है कि लिखने में कौन उसकी मदद करता है तो झट से जवाब देती है कि मुझे पसंद है तो मैं ही लिखती हूं।
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मां अनुप्रिया का कहना है कि जब उसने पहली बार लिखा था तो वे यह देखकर दंग रह गई कि उसके लिखे हुई कविता में सिर्फ दो स्पेलिंग मिस्टेक थे। यहीं से शुरू हुई अभिजीता के लेखक बनने की कहानी जो निरंतर जारी है।