अनलॉक का मतलब 'खुली छूट' नहीं, अगले तीन महीने अधिक है कोरोना का खतरा

अनलॉक का मतलब खुली छूट नहीं
जरूरी है कोरोना से बचाव के लिए सावधानियां
नई दिल्ली: अनलॉक 5 के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिशा निर्देश तो जारी कर दिया है। जबकि कई मामलों में गेंद अब भी राज्य सरकार के पाले में ही डाला गया है। स्कूलों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चुप्पी साध रखी है। सिनेमा हॉल्स, थियेटर, मल्टीप्लेक्स को 50 फीसदी क्षमता के साथ खोलने की इजाजत दी गई है। जबकि कई एजेंसियों ने हिदायत दी है कि आगामी तीन महीना कोरोना संक्रमण को लेकर घातक साबित हो सकते हैं। गौरतलब है कि अगले कुछ महीनों के दरम्यान बड़े त्यौहार आने वाले हैं। लाख समझाने के बावजूद इस दौरान संयम बरतना मुश्किल होता है। लिहाजा खतरा भी अधिक होगा।
सरकार ने अनलॉक 5 के तहत बड़े फैसले लिये हैं, मनोरंजन पार्कों को भी खोलने की इजाजत दी गई है। रटे रटाए गाइडलाइन में सामाजिक दूरी की बात तो कही गई है, फेस मास्क की चर्चा भी बार बार है। जबकि बच्चों को पार्क में घुमाने के रिस्क पर कोई खास हिदायत नहीं है।
राज्य सरकारों को लेना है अंतिम फैसला
कोरोना संक्रमण का प्रकोप अलग अलग राज्यों में भिन्न है। लिहाजा केंद्र सरकार ने मोटे तौर पर गाइडलाइन जारी की है। जबकि परिस्थितियों के हिसाब से राज्य सरकारों को फैसला लेने का अधिकार दिया गया है। इसमें सबसे अहम है स्कूलों को खोलने को लेकर फैसला। कोई भी राज्य सरकार बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं कर सकती है। इस बारे में फैसला लेने से पहले अभिभावकों की भी राय मांगी जाएगी।
अनलॉक के साथ बरतनी होगी अधिक सावधानी
आम जनता को ध्यान रखना होगा कि अनलॉक का मतलब खुली छूट नहीं है। बल्कि इस स्थिति में आम जनता की जिम्मेदारियां और बढ़ जाती है। कई राज्यों में सरकार को कम टेस्टिंग के लिए फटकार लगाई जा रही है। कुछ ऐेसे भी राज्य हैं जहां आरोप लगाये जा रहे हैं कि सरकार कोरोना मौत का आंकड़ा छिपा रही है। इस परिस्थिति में आपको अपनी जान की खुद ही फिक्र करनी है। अनलॉक प्रक्रिया का हिस्सा बनने का मतलब ये नहीं कि हम अपनी जान को जोखिम में डाल दें।