'लॉकडाउन' है अनिवार्य, वरना कोरोना से बचना मुश्किल, जानें क्यों है जरूरी 'लॉकडाउन'?

बचाव के लिए लॉकडाउन जरूरी
क्या है WHO की इस रिपोर्ट में
कोरोना का अब तक नहीं है कोई इलाज
वैज्ञानिकों का भी यही है कहना
जिंदगी या मौत खुद चुन ले जनता
हैदराबाद : 'लॉकडाउन' को लेकर रविवार को चाहे पूरा देश 'जनता कर्फ्यू' में सहयोग करता दिखा हो, लेकिन आज सोमवार को एक बार फिर बड़ी संख्या में लोग घरों से बाहर सड़कों पर नजर आए। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट करना पड़ा। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'लोग 'लॉकडाउन' को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि यह उनकी ही जिंदगी बचाने के लिए है। वे यह क्यों नहीं समझ पा रहे हैं कि कोरोना को हराना है तो लोगों को औरों से अलग खुद को 'क्वारंटाइन' यानि अलग-थलग रखना अनिवार्य है। सबसे बड़ी बात यह है कि उनके पास इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता भी नहीं है।
Many people are still not taking the lockdown seriously. Please save yourself, save your family, follow the instructions seriously. I request the state governments to get the rules and laws followed: Prime Minister Narendra Modi pic.twitter.com/WK9vVZs742
— ANI (@ANI) March 23, 2020
बचाव के लिए लॉकडाउन जरूरी
गौरतलब है कि रविवार को 'जनता कर्फ्यू' के बाद शाम के वक्त देश के लगभग हर राज्य के मुख्यमंत्रियों ने प्रेस कांफ्रेंस करके अपने-अपने राज्यों में 31 अप्रैल तक 'लॉकडाउन' लागू करने की बात की थी। इसके बावजूद आज देश के लगभग हर शहर में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर निकलते दिखे। दुखद है कि देश इस मामले की गंभीरता को समझ नहीं पा रहा कि कोरोना जैसे गंभीर वायरस से खुद को, अपने परिवार को, देश को और पूरी दुनिया को बचाने का एकमात्र उपाय उनके पास खुद को 'क्वारंटाइन' करना ही है न कि कुछ और। इसके बावजूद अगर लोग इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे या इसे गंभीरता से नहीं ले रहे तो इसका अर्थ यह हुआ कि वे इस चुनौती से निपटने के कारगर उपाय को ही गंभीरता से नहीं ले रहे। साथ ही इस तरह वे न सिर्फ खुद को बल्कि अपने आस-पास हर किसी के लिए मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। साथ ही बढ़ा रहे हैं कोरोना के संक्रमण के खतरे को। यह हम नहीं कह रहे और न ही पीएम मोदी या आपके राज्य के मुख्यमंत्री कह रहे हैं बल्कि कह रही है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट।
क्या है WHO की इस रिपोर्ट में
पिछले दिनों WHO का एक बयान आया था, जिसमें उन्होंने यह माना कि कोरोना को हराने के लिए शहरों और देशों को 'लॉकडाउन' करना अनिवार्य है। साथ ही जरूरी है कि जन-स्वास्थ्य के पर्याप्त इंतजाम भी किए जाएं। अगर ऐसा न किया गया तो यह बीमारी फिर पनप सकती है। हालांकि WHO ने युवाओं को कोरोना वायरस से फैली बीमारी के खतरे से आगाह करते हुए कहा कि वे खुद को अजेय न समझें। WHO के प्रमुख टेड्रोस एडहैनम ने कहा है कि यदि आप खुद बीमार नहीं पड़ते लेकिन कहीं जाते हैं, किसी से मिलते हैं तो समझ लें कि आप उनके लिए भी मुसीबत खड़ी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मात्र आत्मनियंत्रण और खुद को संयमित रखकर ही इस बीमारी से बचा जा सकता है।
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कोरोना का अब तक नहीं है कोई इलाज
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी 19 मार्च रात 8 बजे इस वायरस पर दिए राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में बचाव और संयम को प्राथमिकता दी थी। चूंकि कोरोना वायरस के संक्रमण का अभी तक कोई इलाज नहीं ढूंढ़ा जा सका है। इसलिए माना जा रहा है कि इसे फैलने से रोकने के लिए जरूरी है कि इसके संक्रमण को फैलने से बचाया जा सके। जरूरी है कि लोग इस मामले की गंभीरता को समझें और इससे बचाव के सभी जरूरी उपाय करें।
वैज्ञानिकों का भी यही है कहना
कोरोना वायरस को लेकर देश-विदेश के वैज्ञानिकों का भी यही मानना है। वे कहते हैं कि शोध मानते हैं कि 'जनता कर्फ्यू' के माध्यम से पूरे देश को दुनिया से 'आइसोलेट' यानि 'अलग-थलग' करना इस वायरस से नए संक्रमण को रोकने के लिए रामबाण साबित हो सकता है। वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि फिलहाल कोरोना वायरस की नए स्ट्रेन कार्यप्रणाली पर बहुत अध्ययन नहीं हो पाया है। न ही इससे जुड़ी बहुत ज्यादा जानकारी उनके पास है। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि वायरस के संक्रमण को तीसरे चरण में जाने से रोक दिया जाए तो इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। यही वजह है कि दुनिया के तमाम देश 'लॉकडाउन' और लोगों को 'आइसोलेट' करने पर जोर दे रहे हैं। फिलहाल फौरी उपाय तो यही कहते हैं।
जिंदगी या मौत खुद चुन ले जनता
ऐसे में पीएम मोदी और सभी मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ हमारी भी आपसे यह अपील है कि कृपया 'लॉकडाउन' को गंभीरता से लें। यदि ये कुछ दिन हम सभी ने खुद को 'लॉकडाउन' कर दिया तो आगे हम सब सुरक्षित होंगे। इसके बाद एक बार फिर से हम पहले की तरह पूरी दुनिया को एंज्वॉय कर सकेंगे, लेकिन इस वक्त अगर हमने मामले की गंभीरता को नहीं समझा तो हो सकता है कि हम बाद में एंज्वॉय करना तो दूर, जीवित ही नहीं बचें। अब जिंदगी या मौत का चुनाव आप खुद कर लें।
-सुषमाश्री
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