Independence Day 2020: जब गलवान की झड़प में शहीद हुए भारतीय जवान ने फोन पर पत्नी से कहा- मैं ठीक हूं। चिंता मत करो।

घर में पसरा मातम तब खुशहाली में बदल गया
अगली सुबह खुद फोन कर कहा— मैं ठीक हूं।
पत्नी ने कहा था, मेरी जिंदगी लौटकर आ गई
अभी बहुत वक्त नहीं बीता है, दो महीने ही हुए हैं। 16 जून 2020 की रात जब भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई और इस झड़प में हमारे 20 सैनिक शहीद हो गए। देश का सिर फक्र से ऊंचा रखने की जिद में कितने ही घरों के चिराग बुझ गए। कितनी सुहागिनों का सुहाग खो गया। कितनी ही मांओं ने अपने लाल खो दिए। उनमें से फिर कोई लौटकर नहीं आया। आता भी कैसे, देश के लिए उन्होंने अपनी जान जो दे दी थी!
घर में पसरा मातम तब खुशहाली में बदल गया
लेकिन बिहार के सारण जिले में एक खुशकिस्मत पत्नी ऐसी भी थी, जिसके पति के शहीद होने की खबर से घर में पसरा मातम फिर से खुशहाली में बदल गया। दरअसल, हुआ यूं कि भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 16 जून की शाम को सारण जिले के जवान सुनील कुमार के शहीद होने की खबर उनके गृहनगर पहुंची। आर्मी की तरफ से ही परिवार और पुलिस अधिकारियों को यह जानकारी दी गई थी। खबर मिलते ही दीघरा परसा गांव में उनके परिवार के लोग मातम में डूब गए।
अगली सुबह खुद फोन कर कहा— मैं ठीक हूं।
लेकिन अगले ही दिन यानी 17 जून की सुबह सुनील ने खुद फोन करके पत्नी मेनका से बात की और कहा- मैं ठीक हूं, चिंता मत करो। 17 जून को सुनील का फोन आने के बाद मातम में डूबे परिवार को राहत मिली। सुनील ने फोन पर परिवार वालों से बात की। उन्होंने कहा- ‘मैं सुरक्षित हूं।’ दरअसल, इससे पहले मंगलवार 16 जून को शाम पांच बजे सुनील कुमार की पत्नी मेनका राय को फोन आया था। फोन करने वाले ने बताया था कि उनके पति शहीद हो गए हैं। उसके बाद परिजन का रो-रोकर बुरा हाल था।
पत्नी ने कहा था, मेरी जिंदगी लौटकर आ गई
पति सुनील से बात करने के बाद पत्नी मेनका की खुशी का ठिकाना नहीं था। उन्हें अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं हो रहा था। तब उन्होंने कहा था- ‘मेरा सुहाग सुरक्षित है। गलत खबर आई थी। सुनील कुमार नाम के किसी और जवान की शहादत हुई थी। एक जैसा नाम होने के चलते गलतफहमी हुई। मेरे पति ने मुझसे बात की है। उन्हें कुछ नहीं हुआ। मेरी जिंदगी लौटकर आ गई।’ सुनील के सही सलामत होने की खबर मिलने के बाद गांव में छाया मातम खुशी में बदल गया।
जवान और पिता का एक ही नाम होने से हुई थी गलतफहमी
चीनी सैनिकों से लड़ाई में जो जवान शहीद हुए थे, उनका नाम सुनील राय और पिता का नाम सुखदेव राय था। वहीं, सारण के जवान सुनील राय के पिता का नाम भी सुखदेव राय था। जवान और उसने पिता का नाम एक होने के चलते कन्फ्यूजन हुआ। सुनील के चाचा रविंद्र राय ने तब बताया था कि 16 जून, मंगलवार को शाम 5 बजे सेना के अधिकारी ने सूचना दी थी कि सुनील कुमार नहीं रहे। बुधवार सुबह सुनील से बात हुई।
वीर जवानों को हम देशवासियों का सलाम
हालांकि, ऐसा कम ही होता है, जब किसी जवान के घर पहुंची बुरी खबर गलत साबित हो जाए और जवान अपने पैरों पर चलकर अपने घर तक पहुंचे। कुछ ऐसी होती है हमारे वीर सैनिकों की कहानी। जो देश के लिए ही जीते हैं और देश के लिए ही खुशी-खुशी अपने प्राणों की आहूति दे देते हैं। ऐसे जवानों को हम देशवासियों का सलाम। उन्हें हमारा शत-शत नमन। इस 15 अगस्त पर देश की सीमाओं पर रात-दिन पहरा दे रहे हमारे वीर जवानों को हमारी ओर से स्वतंत्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएं। जय हिंद।