पीएम मोदी की अपील का असर : रक्षाबंधन पर इस बार चीनी राखियों को टक्कर देंगे स्वदेशी 'धागे'

रक्षाबंधन पर चीनी राखियों की जगह स्वदेशी राखी पर जोर
सीमा पर तनाव के बाद से बाजार में हो रहा चीनी सामान का बहिष्कार
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में बनाई जा रही हैं एक लाख स्वदेशी राखियां
इंदौर : पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर तनाव के बाद से ही भारतीय बाजार में चीनी सामान के बहिष्कार का मुद्दा गरमाया हुआ है। इसका असर अब त्यौहारों पर भी पड़ता नजर आ रहा है। इस बार रक्षाबंधन पर चीनी राखी के खिलाफ स्वदेशी राखी बनाने पर जोर दिया जा रहा है, जिसकी शुरुआत मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से हुई है।
ग्राहकों में चीन से आयातित सामान के बहिष्कार की भावना बलवती होने का दावा करते हुए इंदौर लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद शंकर लालवानी ने शनिवार को कहा कि वह रक्षाबंधन के त्योहार के मद्देनजर गैर सरकारी संगठनों से एक लाख स्वदेशी राखियां बनवा रहे हैं।
पीएम मोदी की अपील के बाद तैयारी
लालवानी ने संवाददाताओं को बताया, "भारत को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद हम शहर के 22 गैर सरकारी संगठनों से जुड़ी महिलाओं की मदद से एक लाख स्वदेशी राखियां बनवा रहे हैं ताकि स्थानीय बाजार में चीन से आने वाली राखियों को चुनौती दी जा सके।"
ऑनलाइन बेचने की भी योजना
उन्होंने कहा, "अलग-अलग तरह के चीनी सामान के किफायती विकल्प तैयार करने में हालांकि स्वदेशी निर्माताओं को थोड़ा समय लगेगा। लेकिन स्थानीय ग्राहकों के मन में चीनी सामान के बहिष्कार की भावना मजबूत हो रही है।" लालवानी ने बताया कि स्वदेशी राखियों को आम लोगों तक पहुंचाने के लिये शहर के अलग-अलग स्थानों पर बिक्री केंद्र खोले जायेंगे। इन राखियों को ऑनलाइन बेचने की भी योजना है। इस बिक्री से मिलने वाली रकम राखी बनाने वाले गैर सरकारी संगठनों को दी जायेगी।
उन्होंने यह भी बताया कि गैर सरकारी संगठनों ने प्रधानमंत्री के सम्मान में विशेष राखी बनायी है। कुछ राखियां भारतीय सेना के उन 20 बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिये भी बनायी गयी हैं जो पिछले महीने लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से संघर्ष करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। इस बार रक्षाबंधन का त्यौहार तीन अगस्त को मनाया जायेगा।