कोरोना टेस्टिंग के लिए बढ़ी मरीजों की कतारें, 'पीक' के करीब हिंदुस्तान

क्या हिंदुस्तान कोरोना पीक के करीब
टेस्टिंग सेंटर्स में बढ़ी लोगों की भीड़
मुश्किल घड़ी में भी घोटालों से बाज नहीं आ रहे नेता
नई दिल्ली/ हैदराबाद: देशभर में कोरोना वायरस संक्रमितों का आंकड़ा 50 लाख के पार हो गया है। जबकि संदिग्ध संक्रमितों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। कोरोना टेस्टिंग सेंटर्स पर अब पहले से अधिक लोग जांच कराने पहुंच रहे हैं। ऐसी स्थिति में अव्यवस्था से बीमार मरीज हलकान हैं। मौसमी बीमारियों के चलते भी लोग कोरोना टेस्ट कराने आ रहे हैं।
अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक विभिन्न राज्य सरकारों ने स्वास्थ्य कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी है। कुछ चिकित्सा विशेषज्ञ मानने लगे हैं कि सितंबर का आखिरी महीना और अक्टूबर में कोरोना संक्रमण के मामले पीक पर हो सकते हैं। लिहाजा इस दरम्यान बहुत अधिक एहतियात की दरकार होगी।
सुविधाओं को लेकर शिकायत करते लोग
उत्तर हो या दक्षिण भारत, बीजेपी या फिर गैर बीजेपी शासित प्रदेश, हर जगह कोरोना टेस्टिंग को लेकर अव्यवस्था का आलम है। मेडिकल स्टाफ कम हैं जबकि मरीजों की कतार काफी लंबी है। इस अफरातफरी में सैंपल बदल जाना आम बात है। जिसके खतरनाक परिणामों से कोई इनकार नहीं कर सकता।
टेस्टिंग में हो रही देरी
कई गंभीर मरीजों को भर्ती से पहले डॉक्टर आरटीपीसीआर टेस्ट की सलाह दे रहे हैं। जिसके नतीजे आने में दो से भी अधिक दिनों का वक्त लगने लगा है। वहीं रैपिड टेस्ट के लिए कतार बढ़ती जा रही है। रैपिड टेस्ट की मुफ्त व्यवस्था के चलते बड़ी संख्या में लोग इस जांच के लिए पहुंच रहे हैं। वहीं इसको लेकर अविश्वास भी उनमें साफ देखा जा रहा है। लोगों को अपनी बारी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है, फॉर्म भरने पड़ते हैं और फिर रिपोर्ट लेने के लिए फिर से यहां आना पड़ता है। इस सबमें बहुत समय बर्बाद होता है। साथ ही इस पूरी प्रक्रिया में आदमी स्वस्थ रहा तो उसके संक्रमित होने का पूरा खतरा होता है।
कुछ लोगों ने निजी अस्पतालों को परीक्षण करने की अनुमति देने की बात कही। उनका तर्क है कि यदि सरकारी केन्द्र परीक्षण का बोझ नहीं सह पा रहे हैं तो उन्हें निजी क्षेत्र को यह काम करने की अनुमति देनी चाहिए। यूपी और कई राज्यों में निजी प्रयोगशालाओं में परीक्षण निलंबित कर दिए गए हैं। चूंकि किसी भी बीमारी के लिए मरीजों को अस्पताल में इलाज के लिए कोविड की निगेटिव रिपोर्ट दिखाना जरूरी है, ऐसे में सरकारी परीक्षण केन्द्रों पर बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे लोगों में नाराजगी है।
कोरोना काल में भी घोटाले की कमाई
राज्यसभा में बृहस्पतिवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने कोविड-19 महामारी से सामूहिक रूप से निपटने और परस्पर दोषारोपण से बचने पर जोर दिया। वहीं आप ने आरोप लगाया कि भाजपा शासित कई राज्यों में इस महामारी के दौरान घोटाले हुए। विपक्षी सदस्यों ने केंद्र से मांग की कि राज्यों को उनके जीएसटी बकाए का भुगतान किया जाए ताकि वे संकट की इस घड़ी का और बेहतर तरीके से मुकाबला कर सकें। कोविड-19 के संबंध में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन द्वारा सदन में दिए गए एक बयान पर हो रही चर्चा में भाग लेते हुए आप के संजय सिंह ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में इस ‘‘आपदा को अवसर'' बनाते हुए घोटाले किए गए हैं। उन्होंने दावा किया कि आक्सीमीटर और थर्मामीटर खरीदने तक में घोटाले हुए। सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप में ही भाजपा के एक प्रदेश अध्यक्ष को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष ने आरोप लगाया है कि विपक्ष ने कई मौके पर साथ नहीं दिया। उन्होंने ताली और थाली बजाने तथा दीप जलाने जैसे कार्यक्रमों का उपहास करते हुए इन्हें ‘‘मूर्खतापूर्ण'' कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस कोरोना संकट के दौरान दिल्ली सरकार ने अनुकरणीय काम किया और दुनिया भर में दिल्ली मॉडल की चर्चा हो रही है।
कोरोना पर राजनीति नहीं करने की हिमायत
शिवसेना सदस्य संजय राउत ने कहा कि हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी महामारी आएगी। उन्होंने कहा कि जिसके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से पीड़ित हुआ है, उसका दुख समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनकी मां और छोटा भाई भी कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और आईसीयू में हैं। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को जनता के बीच जाने की जरूरत होती ही है। राउत ने कहा कि यह राजनीतिक लड़ाई नहीं बल्कि जिंदगी बचाने की लड़ाई है। इसमें हमें परस्पर दोषारोपण से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संकट के दौरान भी महाराष्ट्र सरकार की निंदा व खिंचाई की गयी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री और पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान की इसी बीमारी के कारण मौत हो गयी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के ही एक नेता ने दावा किया था कि वहां अव्यवस्था के कारण चेतन चौहान की मौत हो गयी। राउत ने कहा कि धारावी जैसे बड़े क्षेत्र में हमने काफी हद तक संक्रमण पर काबू पा लिया है। इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी नगर निकाय बीएमसी की पीठ थपथपायी है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की आलोचना करने वाले लोगों को समझना चाहिए कि बड़ी संख्या में वहां लोग ठीक भी हुए हैं।