फाइनल ट्रायल से पहले ही कोरोना वैक्सीन के एमरजेंसी इस्तेमाल की मिली मंजूरी

कोरोना वैक्सीन के एमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी
दुनिया में बढ़ रहे है कोरोना वायरस के मामले
अबूधाबी: कोरोना वायरस को लेकर कई देशों में अफरातफरी वाली स्थिति है। भारत में भी कमोबेश माहौल कुछ ऐसा ही है। आकस्मिकता और एमरजेंसी को देखते हुए कई देश कोरोना वायरस वैक्सीन के फाइनल ट्रायल से पहले ही इसके इस्तेमाल की मंजूरी दे रहे हैं। इनमें शामिल है संयुक्त अरब अमीरात जहां की सरकार ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए विकसित की जा रही वैक्सीन को तत्काल इस्तेमाल की मंजूरी दी है। हालांकि इसके लिए मरीज की सहमति लेनी जरूरी होगी।
माना जा रहा है कि जिस वैक्सीन को यूएई ने मंजूरी दी है उसका परीक्षण जानवरों पर सफल रहा है। साथ ही डेढ़ से दो महीने में वैक्सीन फाइनल ट्रायल के पड़ाव को भी पार कर जाएगी। इस दौरान बढ़ती मौतों को रोकने के लिए यूएई की सरकार ने अहम फैसला लिया है। यूएई की जिस वैक्सीन को मंजूरी दी गई है उसे चीन की एक कंपनी ने ही विकसित किया है। कंपनी का नाम सिनोफाम बताया जाता है। हालांकि यूएई की सरकार ने साफ किया है कि शुरुआत में वैक्सीन उन्हीं लोगों को दी जाएगी जो फ्रंट लाइन में काम कर रहे हैं और चिकित्सा कर्मी या मरीजों से करीब से जुड़े हैं।
यूएई की जिस वैक्सीन की हम यहां चर्चा कर रहे हैं उसके हल्के साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिले हैं। 28 दिनों के दरम्यान वैक्सीन की दो खुराक दी जाती है। इससे पहले रूस ने अगस्त महीने में ही कोरोना वायरस वैक्सीन को नियामक मंजूरी देते हुए दुनिया में अव्वल साबित हुआ है। फिलहाल बाकी देश रूस या फिर यूएई को देखते हुए वैक्सीन को जल्दी से जल्दी मंजूरी देने की दिशा में काम कर रहे हैं।
भारत में खास बात है कि यहां बढ़ते कोरोना वायरस मरीजों के बीच मृत्युदर अपेक्षाकृत कम है। जिसको लेकर केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारें निश्चिंत है। जो व्यवस्था की गई है उसके तहत अस्पताल में भर्ती मरीजों का इलाज किया जा रहा है। जबकि अधिकांश लोग घर में ही रहकर ठीक हो रहे हैं।