जब इंदिरा गांधी ने अपने हाथ से ड्राइवर को खिलाए बिस्किट, लेकिन नहीं पसंद थी ये चीजें

गेंदे से ही लिपटा इंदिरा का पार्थिव शरीर
इंदिरा गांधी का 'दर्शन दरबार'
बर्दाश्त नहीं थी इंदिरा को ऐसी तस्वीर
हैदराबाद : देश की पहली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का आज पुण्यतिथि है। उनसे जुड़ी कई कई किस्से आपने सुने होंगे लेकिन यह बातें आप नहीं जानते होंगे। कि इंदिरा गांधी को गेंदे का फूल पसंद नहीं था। इंदिरा गांधी को गेंदे के फूल से इस कदर 'एलर्जी' थी कि उनके स्टाफ को साफ निर्देश था कि उनका कोई भी प्रशंसक उनके पास गेंदे के फूल ले कर न आ पाए।
गेंदे फूल से ही लिपटा इंदिरा का पार्थिव शरीर
बहुचर्चित किताब 'द मेरीगोल्ड स्टोरी- इंदिरा गाँधी एंड अदर्स' के मुताबिक, 'इंदिरा की पूरी जिंदगी में उनके स्टाफ की सबसे बड़ी जद्दोजहद होती थी कि गेंदे का फूल इंदिरा गांधी के नजदीक न पहुंच जाए। वजह ये थी कि उन्हें गेंदे के फूल पसंद नहीं थे।' लेकिन विडंबना देखिए कि जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके पार्थिव शरीर को तीन मूर्ति भवन में लोगों के दर्शनों के लिए रखा गया तो उनके चारों तरफ गेंदे के ही फूल थे।
इंदिरा गांधी का 'दर्शन दरबार'
बताया जाता है कि इंदिरा गांधी भी रोज सुबह बीस मिनट के लिए आम लोगों से मिला करती थीं। इसे उनका 'दर्शन दरबार' कहा जाता था। इस दौरान बहुत से लोग इंदिरा गांधी के पैर छूने की कोशिश करते थे, लेकिन उन्हें अपने पैर छुवाना बिल्कुल पसंद नहीं था। किताब के मुताबिक, जनता दरबार में एक बुज़ुर्ग रोज उनके लिए कच्चा नारियल ले कर आते थे। लोग तिरुपति का लड्डू भी लाते थे।
बर्दाश्त नहीं थी इंदिरा को ऐसी तस्वीर
कहा जाता है कि इंदिरा गांधी को साफ-सफाई और व्यवस्था बहुत पसंद थीं। उन्हें दीवार पर लगी कोई तिरछी तस्वीर बिल्कुल पसंद नहीं थी। बताया जाता है कि इंदिरा जब अकबर रोड स्थित अपने ऑफिस में जाती थीं, तो चलते-चलते पांच छह चीजें अपने हाथों से ठीक करती जाती थीं। कुर्सी अगर टेढ़ी रखी हो तो उसे भी सीधा करती थीं। उन्हें दीवार पर लगीं तिरछी तस्वीरों से बहुत चिढ़ थी। तस्वीर अगर एक सेंटीमीटर भी तिरछी हो, तो उनकी नजरों से बच नहीं सकती थी। इसके अलावा इंदिरा गांधी की एक सनक और थी। किसी कमरे से निकलने से पहले वो उस कमरे की लाइट अपने हाथों से बंद करती थीं।
इंदिरा गांधी को खाने में पसंद थी ये चीजें
इंदिरा गांधी हमेशा पुरुषों की घड़ी पहनती थीं। सुबह तड़के उठती थीं और चाहे जितना जाड़ा हो, हमेशा ठंडे पानी से नहाती थीं। इतना ही नहीं वह बेड टी नहीं पीती थीं, बल्कि वो सीधे नाश्ता ही करती थीं। दो टोस्ट, जिन पर हल्का मक्खन लगा होता था, आधा उबला अंडा, 'मिल्की कॉफ़ी' और एक मौसमी फल, जिसमें ज़्यादातर सेब होता था। ये उनका नाश्ता होता था।
बताया जाता है कि वो वेजेटेरियन खाना ज्यादा पसंद करती थीं। दिन में एक सब्जी दाल, दही और दो रोटियां खाती थीं, लेकिन रमजान के दिनों में कुछ मुस्लिम दोस्त उनके लिए कबाब भेज देते थे। क्योंकि इंदिरा को रात में नॉन वेजेटेरियन खाना ज्यादा पसंद करती थी।
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इंदिरा ने अपने हाथ से ड्राइवर को खिलाए बिस्किट
इंदिरा गांधी का मानवीय पक्ष बहुत मजबूत था, क्योंकि वो अपने साथ काम करने वाले छोटे से छोटे कार्यकर्ता का बहुत ख्याल रखती थीं। बताया जाता है कि एक बार जब इंदिरा गांधी उत्तराखंड से एक चुनाव सभा करके वापस आ रही थीं। उनके साथ मोहसिना किदवई भी थीं। इस दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी से कहा कि उन्हें रास्ते में कहीं रुकना पड़ेगा, ताकि ड्राइवर कुछ खा ले। इंदिरा गांधी ने तुरंत अपना झोला टटोला और अपने पसंदीदा 'मारी' बिस्किट का एक पैकेट निकाला। उन्होंने एक बिस्किट के कई टुकड़े किए और अपनी हथेली पर रख कर ड्राइवर से बोलीं, 'पहाड़ी रास्ता है। तुम गाड़ी चलाते रहो, और एक एक टुकड़ा खाते रहो। ऐसी थी इंदिरा गांधी के विचार।