पालामुरु के नाम से जाना जाता था महबूबनगर जिला, 130 साल पहले आज ही के दिन हुई थी स्थापना

बड़े पैमाने पर होता है दूध और दही का उत्पादन
निजामकालीन भवनों का फिलहाल सरकारी कार्यालयों के लिए किया जा रहा इस्तेमाल
महबूबनगर : आज से 130 साल पहले महबूबनगर (Mahabubnagar) जिले की स्थापना हुई है। जिला क्षेत्र में गंगा-जमुना (Ganga-Jamuna) की तहजीब देखने को मिलती है। क्षेत्र में दूध और दही का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। जिला क्षेत्र के आसपास के देहातों में दूग्ध व्यवसाय जोरों पर चलता है। जिले के वन क्षेत्र में पेड से दूध भी बड़े पैमाने पर मिलते हैं। इसलिए कुछ लोग इस क्षेत्र को पालमुरु (Palamuru) के नाम से पुकारते हैं। आसिफजाही (Asaf Jahi ) राजवंश 6वें निजाम नवाब मीर महबूब अलीखान बहादूर के नाम पर महबूबनगर जिला रखा गया है। जिले का महबूबनगर नाम रखने से पहले क्षेत्र को रुक्मम्मापेट, चोलावाड़ी और पालमुरु के नाम से जाना जाता था। क्षेत्र में शासन करनेवाले आसिफजाही राजा ने 1890 में 4 दिसंबर को महबूबनगर नाम रखा।
शातवाहन और चालुक्या राजवंश के शासन के बाद क्षेत्र गोलकोंडा राजवंश के अधीन रहा। वर्ष 1518 से 1687 तक कुतुबशाही राजवंश और 1948 से आसफ जाही नवाबों का शासन रहा। देश को आजादी मिलने के बाद 1948 में 18 सितंबर को हैदराबाद संस्थान को भारत में शामिल किया गया। जिला क्षेत्र में मौजूद भवनों और भूमि को सरकार ने अपने अधीन कर लिया है और अलग-अलग कार्यालयों के लिए उपयोग में लाया जा रहा है।
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निजामकालीन भवनों का फिलहाल सरकारी कार्यालयों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इन भवनों में कलेक्टर कार्यालय, तहसीलदार कार्यालय, जिला न्यायालय कॉम्पलेक्स, एसपी कार्यालय, लघु सिंचाई ईई कार्यालय, फारेस्ट कार्यालय कॉम्पलेक्स, पोस्ट सुपरिटेंडेंट कार्यालय, आर एण्ड बी अतिथि कार्यालय, सरकारी बॉयज जूनियर कॉलेज, डीईओ, आरएण्डबी ईई कार्यालय, जिला जेल, वन टाउन पुलिस थाना, ब्राह्मणवाड़ी में दूधखाना, पुराना पोस्टल सुपरिटेंडेंट, शाशाबागुट्टा हाई स्कूल, मॉडल बेसिक हाई स्कूल, रेलवे स्टेशन कार्यालय बनें हैं।