आज है गोपाष्टमी का पावन पर्व, इस दिन की जाती है गाय की पूजा, ये है पूजा विधि व मुहूर्त

गौ पूजा को समर्पित है गोपाष्टमी का पर्व
आज 22 नवंबर को है गोपाष्टमी
गौ माता के साथ होती है श्री कृष्ण की पूजा
हिंदू धर्म में गाय (Cow) को गौ माता कहते हैं और इसकी पूजा का बड़ा महत्व है। वहीं कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी (Gopashtami 2020) का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 22 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन गायों की विशेष पूजा होती है और एक तरह से तो यह पर्व गाय को ही समर्पित है। गोपाष्टमी के दिन लोग गायों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान दर्शाते हैं। गायों को जीवन देने वाला कहा गया है। इनकी पूजा ठीक उसी तरह की जाती है जिस तरह किसी देवी की पूजा की जाती है।
गोपाष्टमी के दिन जहां गायों की विशेष पूजा की जाती है, उनकी सेवा की जाती है वहीं यह भी माना जाता है कि अगर गाय के नीचे से निकल जाएं तो सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी, इसीलिए इस दिन देखा जाता है कि लोग गौशाला में पूजा के बाद गाय के नीचे से निकलते हैं और गौ माता से परेशानियां दूर कर सुख-समृद्धि का वरदान मांगते हैं।
ये है गोपाष्टमी का महत्व
हमारे धर्म में गाय को भी भगवान माना जाता है और उसकी पूजा किसी देवी की तरह की जाती है। शास्त्र तो यह भी कहते हैं कि गाय में ही सारे देवता बसते हैं और इसकी पूजा करने से, सेवा करने से, कृतज्ञता दर्शाने से जीवन संवर जाता है। वहीं ज्योतिषी तो यह भी कहते हैं कि गाय की पूजा से ग्रह-पीड़ा भी समाप्त होती है। गाय को आध्यात्मिक और दिव्य गुणों का स्वामी भी कहा गया है।
मान्यताओं के अनुसार जो लोग गोपाष्टमी की पूर्व संध्या पर गाय की विधिवत पूजा करते हैं उन्हें खुशहाल जीवन का आशीर्वद प्राप्त होता है। साथ ही अच्छे भाग्य का आशीर्वाद भी मिलता है। कहा जाता है कि गोपाष्टमी के दिन पूजा करने वाले व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती हैं।
गोपाष्टमी का पर्व बछड़े और गायों की एक साथ पूजा व प्रार्थना करने का दिन है। इस दिन गायों की पूजा पानी, चावल, कपड़े, इत्र, गुड़, रंगोली, फूल, मिठाई और अगरबत्ती के साथ की जाती है। कई जगहों पर पुजारी गोपाष्टमी की विशिष्ट पूजा भी करवाते हैं।
गोपाष्टमी 2020 शुभ मुहूर्त
22 नवंबर 2020
गोपाष्टमी तिथि प्रारंभ- 21 नवंबर, शनिवार, रात 21 बजकर 48 मिनट से
गोपाष्टमी तिथि अंत- 22 नवंबर, रविवार रात 22 बजकर 51 मिनट तक
गोपाष्टमी पर ऐसे करें पूजा
- गोपाष्टमी के दिन सबुह के समय गाय और उसके बछड़े को नहलाया जाता है और तैयार किया जाता है। फिर गाय और बछड़े का श्रृंगार भी किया जाता है। उनके पैरों में घुंघरू बांधे जाते हैं।
- इसके बाद गाय और बछड़े को कई तरह के आभूषण भी पहनाए जाते हैं। गौ माता के सींगों पर चुनरी भी बांधी जाती है।
- इस दिन सुबह के समय जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर गाय के चरणों को स्पर्श करना चाहिए।
- फिर गाौ माता की परिक्रमा की जानी चाहिए। परिक्रमा के बाद उन्हें चराने के लिए बाहर ले जाया जाता है।
- इस दिन अगर ग्वालों को दान दिया जाए तो शुभ होता है। कई जगहों पर ग्वालों को नए कपड़े दिए जाते हैं और तिलक लगाया जाता है।
- फिर शाम को जब गाय घर वापस आती है तो उनकी पूजा की जाती है। इसके बाद उन्हें भोजन कराया जाता है। इस दिन गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलाया जाता है।
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- अगर किसी के घर गाय नहीं है तो वो गौशाला जाकर भी गाय की पूजा कर सकते हैं। गौशाला में गाय को खाना खिलाकर सामान दान किया जा सकता है।
- इस दिन कई लोग कृष्ण जी की भी पूजा करते हैं। साथ ही कृष्ण जी के भजन भी गाए जाते हैं क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण गायों से अत्यधिक प्रेम करते थे।