सवाल तो बनता है, क्या हम जिम्मेदार नागरिक हैं ?

आपदा में बिगड़ रहे हालात !
लगातार बढ़ रहा कोरोना का संक्रमण
आपसी समझ विकसित करने की जरूरत
बात पते की : आपने भी बड़े बुजुर्गों की ये नसीहत जरूर सुनी होगी कि, जब सिर पर मुसीबत आन पड़ती है, तो इंसान को जिम्मेदारी का अहसास होता है और वो अपने आप को उन परिस्थितियों से निपटने के लिये तैयार कर लेता है । देखा जाए तो काफी हद तक ये बात सही भी है। जब हम किसी समस्या से निपटने के लिये मानसिक रूप से तैयार हो जाते हैं, तो उस समस्या से निपटने का हौसला हम में आ ही जाता है,और समस्या का निपटारा हो जाता है ।
इन दिनों देश जिन हालात से गुजर रहा है, ये ऐसा मौका है जब हर किसी को कुछ उसी मानसिकता के साथ महामारी से निपटने के लिये तैयार रहना होगा, और आपसी सहयोग और सोशल डिस्टेंसिंग के जरिये कोरोना जैसी महामारी से पार पाना होगा। लेकिन गौर किया जाये, तो क्या ऐसा हो रहा है ? क्या हम उन बातों पर ध्यान दे रहे हैं, जिसकी मौजूदा दौर में जरूरत है। तो सीधा सा जवाब होगा नहीं । एक तरफ पुलिस, प्रशासन, डॉक्टर्स, अर्धसैनिक बलों के अलावा तमाम सामाजिक संस्थाएं कोरोना वारियर्स बनकर, कोरोना की लड़ाई में अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं । तो वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग है जिनकी गैर जिम्मेदाराना हरकत से कोरोना वारियर्स की मुश्किल और भी बढ़ती ही जा रही है। ये लोग कोरोना वारियर्स की मेहनत पर पानी फेर देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं ।
नांदेड़ से लौटे सिखों को हुआ कोरोना संक्रमण
रोज-रोज कुछ न कुछ, ऐसा ये लोग कर रहे है, जिससे समस्या कम होने की बजाय बढ़ रही है। अभी हाल ही में नादेंड़ की घटना को ही ले लीजिए, महाराष्ट के नांदेड़ से पंजाब लौटे लौटे सिख श्रद्धालुओं में तेजी से कोरोना फैला है, पंजाब में महाराष्ट्र के नांदेड़ से बसों के माध्यम से पहुंचाए गये श्रद्धालुओं में 170 से ज्यादा लोगों में कोरोना फैल गया । आपको बतादे करीब 3500 श्रद्धालुओं को महाराष्ट्र से पंजाब ले जाया गया। था.। लेकिन लापरवाही के चलते मानकों का ध्यान नहीं रखा गया। श्रद्धालुओं को एयर कंडिशन्ड बसों के जरिये ले जाया गया । जिसके चलते श्रद्धालुओं में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल गया और करीब पौने दो सौ बीमार पड़ गये । अब दोनों प्रदेशों पंजाब और महाराष्ट्र की सरकारें एक दूसरे पर दोष मढ़ रहीं हैं । बताया जा रहा है, कि इन श्रद्धालुओं का कोरोना टेस्ट नहीं कराया गया था, जिसके चलते संक्रमण फैल गया । वहीं पंजाब सरकार ने भी श्रद्धालुओं का कोरोना टेस्ट कराने की जरूरत नहीं समझी, और न ही उन्हे क्वारंटाइन किया गया, जिससे हालात बिगड़ गये ।
कॉन्सेप्ट फोटो (सौजन्य सोशल मीडिया)
तबलीगी जमात के लोगों ने फैलाया संक्रमण
वहीं इससे पहले, तबलीगी जमात मामले में भी देश में बड़ी लापरवाही देखने को मिली थी । सरकार के बार-बार चेताने के बाद भी यहां मानकों का उल्लंघन किया गया। यहां से निकले जमाती देश के कोने कोने में फैल गये । जिसके चलते कोरोना का संक्रमण कई निर्दोष लोगों तक पहुंच गया। अपनी नासमझी के चलते जमात के लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों को तो कोराना का संक्रमण दिया ही, साथ ही समाज के दूसरे लोगों को भी संक्रमित कर दिया। अभी भी जमात के लोग खुद से आगे आकर कोरोना की जांच नहीं करा रहे हैं, उल्टे मस्जिदों में छिप कर बैठे हुए हैं ।
कॉन्सेप्ट फोटो (सौजन्य सोशल मीडिया)
कोरोना वारियर्स पर हमले की घटना चिंताजनक
एक और गंभीर समस्या देखने को मिल रही है । वो ये कि कोरोना वारियर्स पर हमले करने की घटनाएं भी बहुतायत में देखने को मिल रहीं हैं । जो लोग इन लोगों की जान बचाने के लिये अपनी जान को खतरे में डाल कर आगे आ रहे हैं, उल्टे उन पर ही जानलेवा हमले किये जा रहे हैं । हाल ही में मुरादाबाद, कानपुर की घटना काफी चर्चा में रहीं थी। जिसपर सरकार ने ऐसे लोगों के खिलाफ कठोरता से कार्रवाई भी की । लेकिन ये मामले कम नहीं हो रहे हैं । वहीं ताजा मामले में दरभंगा में लॉकडाउन का पालन कराने पर लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया गया । वहीं पंजाब में निहंगो द्वारा पुलिस के सिपाही का हाथ काटने की घटना आप भूले नहीं होंगे। ऐसी तमाम घटनाएं है, जो ये बताती हैं कि लोगों को इस बात की चिंता नहीं है कि उनकी लापरवाही उनकी जान पर कितनी भारी पड़ सकती है , बल्कि नियम का पालन करना ये अपनी शान के खिलाफ समझते हैं ।
कॉन्सेप्ट फोटो (सौजन्य सोशल मीडिया)
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देशभर में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 39,980 हो गई है, जबकि 1301 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में देश के नागरिकों की इस तरह की हरकत से मुश्किलें और भी बढ़ेंगी। सवाल ये उठता है कि आखिर हमारी ऐसी मनोदशा क्यों है, कि नियमों काअनुपालन हम दबाव में ही करते हैं । क्या हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती कि हम खुद से जागरूक बने, और बिना किसी दबाव के एक जिम्मेदार नागरिक की तरह पेश आएं ।