नीलकंठ का फोटो व्हाट्सएप पर सर्कूलेट कर रहे लोग, जानिए पुण्यफल?

कहां गए नीलकंठ पक्षी?, दशहरा पर दर्शन का विधान
नीलकंठ के दर्शन का मतलब शिव का आशीर्वाद
हैदराबाद: दशहरा के दिन बचपन के दिनों की याद करें तो बच्चे दिन भर नीलकंठ पक्षी की खोज में यहां वहां भटकते थे। दो तीन घंटों की खोज के बाद नीलकंठ के दर्शन भी हो जाते थे। फिर तो बच्चे निहाल ही हो जाते, उन्हें लगता साक्षात मां दुर्गा और भगवान शंकर का उन्हें आशीर्वाद मिल गया है। वहीं अब वक्त बदल चुका है। विजयादशमी के दिन सुबह सवेरे मोबाइल ऑन करते ही नीलकंठ की फोटो के साथ शुभकामनाओं की भरमार देखने को मिलती है।
कहां गये नीलकंठ पंछी?
प्रदूषण और मौसम में आए जबरदस्त बदलाव के कारण नीलकंठ पक्षी अब शहरी इलाकों में नजर नहीं आते हैं। मान्यता है कि दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन होना बेहद शुभ होता है। काफी मशक्कत के बाद भी नीलकंठ के दर्शन शहरों में दुर्लभ हो चुके हैं। अंधाधुंध पेड़ों की कटाई और वाहनों के धुएं से इन पंछियों का दम घुटता है। लिहाजा अब ये अपनी कृपा ग्रामीण और दूर दराज के इलाकों में ही बरसाते हैं। अभी बहुत पुरानी बात नहीं, कुछ दशक पहले ही नीलकंठ के दर्शन आसानी से हो जाते थे। अब शहरों से पेड़ गायब होंगे तो जाहिर है नीलकंठ का पलायन होगा ही।
क्या है पौराणिक कहानी?
पंडित पंकज मिश्राकी मानें तो दशहरा और खासकर विजयादशमी के दिन नीलकंठ का दर्शन होना बेहद शुभ होता है। मान्यता है कि दर्शन पाने वाले को साक्षात शिव का आशीर्वाद मिलता है। पौराणिक कहानी के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान सुर एवं असुरों में संग्राम हुआ था। इसी मंथन के दौरान समुद्र से विष निकला था। जिसके जोर से पशु पक्षियों की मौतें होने लगी थी। ऐसे में सबने भगवान शंकर को मनाया और उनसे इस हलाहल से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। भगवान शंकर ने आखिर प्रार्थना स्वीकार कर ली दुनिया की भलाई के लिए खुद ही विष पी लिया।
जहर पीते ही भगवान शिव को अहसास हुआ कि उनके हृदय में तो भगवान राम बसते हैं। अगर विष हलक के नीचे उतर गया तो विष के प्रभाव से श्रीराम को नुकसान होगा। लिहाजा भगवान शंकर ने विष को गले के नीचे उतरने ही नहीं दिया। विष के प्रभाव से भगवान शंकर का गला नीला पड़ गया था। इसी से जोड़कर हिंदू धर्म में नीलकंठ को पूजनीय और पवित्र पक्षी की मान्यता हासिल है। अगर विजयादशमी के दिन नीलकंठ के दर्शन हो जाये तो चावल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
नीलकंठ के दर्शनों के लिए परेशान लोग
विजयादशमी के दिन तमाम लोग नीलकंठ के दर्शन के लिये परेशान रहे लेकिन इनमें अधिकांश को दर्शन नहीं हुये। इसलिये नीलकंठ की फोटो देखकर लोगों ने ये रस्म पूरी की है। आप व्हाट्सएप स्टेटस देखें तो कोई न कोई मित्र आपको नीलकंठ की फोटो पिंग किये जरूर मिलेगा। नीलकंठ के विलुप्त होने की वजह इसका शिकार होना भी बताया जाता है। पवित्र पक्षी के नाते शिकारी इन्हें पकड़ लेते हैं और दशहरा के मौके पर इनका कारोबार करते हैं। कुछ इसी तरह का व्यापार दिवाली के मौके पर उल्लुओं का भी होता है।