एक ऐसा शहर जहां रावण दहन से होता है अनिष्ट, सालों-साल दशानन को रखते हैं जिंदा

गांव- शहर के बाहरण बनती है रावण की प्रतिमा
कहीं-कहीं रावण दहन की नही पूजा की है परंपरा
विजयादशमी पर यूं तो पूरे देश में रावण दहन की परंपरा है। सिवाय छत्तीसगढ़ के। हमारी परंपरा रावण वध की रही है। दहन की नहीं। यही वजह है कि प्रदेश के हर शहर और गांव के आसपास एक रावणभाठा होता ही है। इस बड़े मैदान के बीच में पत्थर-सीमेंट से बने रावण की विशाल प्रतिमा होती है। विजयादशमी के दिन लोग यहां इकटठे होते हैं और तीर मारकर रावण का प्रतीकात्मक वध किया जाता है। लोगो का मानना है कि रावण का पुतला दहन करने से अनिष्ट हो सकता है। छत्तीसगढ़ के गांव-शहर में पत्थर सीमेंट से बनी रावण की प्रतिमाएं दिख ही जाती हैं। अधिकतर ये गांव के बाहर एक विशाल मैदान में होती हैं।
छत्तीसगढ़ी में मैदान को भाठा कहा जाता है इसलिए हर इलाके में इस मैदान नाम भी रावणभाठा ही होता है। खास बात यह है कि इन प्रतिमाओं को मिट्टी या लकड़ी से नहीं बनाया जाता है। प्रदेशभर के रावणभाठा की प्रतिमाएं पत्थर या सीमेंट से ही बनाई जाती है, ताकि साल तक झका इस्तेमाल किया जा सके। ये प्रतिमाएं 10 से 35 फीट तक ऊंची होती हैं। कहीं कसे 40 फीट ऊंचे रावण भी दिख जाते हैं। बस्तर के कई गांवों में तो 400 साल पुरानी रावण प्रतिमाएं भी हैं।
हालिया सालों में बढ़ा रावण दहन का चलन
किशोर शर्मा बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में रावण दहन करने की परंपरा हाल के दिनों में बढ़ी है। रायपुर में भी 30-40 साल पहले तक कुछएक जगहों पर ही रावण दहन के सामूहिक आयोजन होते थे। धीरे-धीरे इसका चलन बढ़ा और आज तो शहर की हर गली में औसतन 2 से 3 पुतले जलते ही होंगे। हालांकि, गांवों में आज भी रावण दहन की उतनी मान्यता नहीं है। लोग आज भी विजयादशमी पर पास के रावणभाठा जाते हैं। यहाँ दशानन का वध तो किया जाता है, लेकिन उससे पहले रावण की पूजा भी की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे यहां व्यक्ति नहीं, उसके गुणों की पूजा की जाती है।
देश के कई शहरों में है रावण के पूजने की परंपरा
बता दें कि देश के कई शहर ऐसे हैं जहां रावण के पूजा की परंपरा है। इन्ही में से एक है रायपुर से करीब 20 किलोमीटर दूर धरसीवा ब्लॉक के मोहदी गांव में रावण की पूजा करने की परंपरा है। विजयादशमी के दिन आसपास के सभी गांवों से लोग रावणभाठा में लोग जुटते हैं। यहां रावण की प्रतिमा के सामने नारियल फोड़कर गांव को तमाम विषदाओं से सुरक्षित रखने की प्रार्थना की जाती हैं धमतरी जिले के सोनामगर में भी विजयादशमी के दिन रावण को जलाते नहीं, बल्कि उसकी पूजा की जाती है।