गंभीर आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा देश, दूसरी तिमाही में -7.5 फीसदी ग्रोथ

नई दिल्ली: देश इस वक्त गंभीर आर्थिक दौर से गुजर रहा है। दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ माइनस 7.5 फीसदी बताया गया है। जिससे बेहतर हालात में आने में काफी वक्त लगेगा। लंबे समय तक लॉकडाउन और कोरोना वायरस संक्रमण की पांबदियों के कारण कई बिजनेस सेक्टर आज भी मुश्किल हालात से गुजर रहे हैं। कोरोना वायरस संकट के बीच आज दूसरी बार जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े जारी हुए हैं। वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही (Q2) यानी सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ निगेटिव में 7.5 फीसदी रही। जिसको लेकर आर्थिक विशेषज्ञों और सरकार के माथे पर बल पड़ गए हैं। जब लॉकडाउन हुआ था तो जून की तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था करीब 24 फीसदी की भारी गिरावट जूझ रही थी। वक्त के साथ अनलॉक प्रक्रिया शुरू हुई और माना जा रहा था कि दूसरी तिमाही में हालात सुधरेंगे। जबकि जारी जीडीपी ग्रोथ से लोगों की परेशानियां अब सरकार के सामने आ चुकी है।
हालांकि पहली तिमाही से तुलनात्मक तौर पर देश की अर्थव्यवस्था बेहतर हालात में है। बावजूद निगेटिव ग्रोथ किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए सही नहीं मानी जा सकती है। हमने लगातार दो तिमाही में जीडीपी का नकारात्मक ग्रोथ देखा, जिससे जितनी जल्दी हो सके निपटने की जरूरत है। ताजा आंकड़े के हिसाब से सरकार ने आर्थिक मंदी को स्वीकार किया है।
जीडीपी के नकारात्मक ग्रोथ पर सरकारी जवाब
देश के मुख्य वित्तीय सलाहकार ने निगेटिव जीडीपी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था पहले से बेहतर हुई है। उन्होंने माना कि आपदा के चलते देश को नुकसान उठाना पड़ा है, जिससे हम धीरे धीरे उबर पा रहे हैं। रिजर्व बैंक का अनुमान था कि दूसरी तिमाही में जीडीपी में 8.6 फीसदी की गिरावट हो सकती है। वहीं केयर रेटिंग्स ने भी 9.9 फीसदी की गिरावट का अंदाजा लगाया था। इस लिहाज से भी आंकड़े कुछ संतोषजनक कहे जा सकते हैं। उम्मीद की जा रही है कि तीसरी और चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था में मामूली सुधार हो सकता है।
क्या भारत में आ गई आर्थिक मंदी?
तकनीकी तौर पर कहें तो भारत इस वक्त आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक अगर किसी देश की जीडीपी लगातार दो तिमाही निगेटिव में रहती है यानी ग्रोथ की बजाय उसमें गिरावट आती है तो इसे मंदी की स्थिति मानी जाती है। भारत में वित्त वर्ष की लगातार दो तिमाही में जीडीपी नकारात्मक है, लिहाजा हम कह सकते हैं कि देश इस वक्त मंदी के हालात से गुजर रहा है।
क्या होती है जीडीपी?
जीडीपी का फुल फॉर्म है ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद। दरअसल जीडीपी सालभर में देश में उत्पादित सभी सामानों और सेवाओं के वैल्यू को कहा जाता है। अगर आसान लफ्जों में समझें तो जीडीपी ठीक वैसी ही है, जैसे 'किसी छात्र की मार्कशीट' होती है। जिस तरह एक्जाम के रिजल्ट से पता चलता है कि स्टूडेंट ने सालभर में कैसा प्रदर्शन किया है और किन सब्जेक्ट्स में उसकी हालत खराब है। कुछ इसी तरह जीडीपी आर्थिक गतिविधियों का इंडिकेटर होता है। अर्थव्यवस्थआ के विभिन्न सेक्टर्स की बारीकी से विवेचना होती है। इसके अलावा सरकार जीडीपी आंकड़ों के हिसाब से ही फैसले लेती है।