राहुल के ‘प्लान B’ के तहत कांग्रेस का हाथ जेडीएस के साथ

नई दिल्ली : गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव नतीजों से सबक लेते हुए कांग्रेस कर्नाटक में जोखिम मोल लेने के मूड में नहीं थी और शायद यही वजह है कि उसने नतीजों को लेकर तस्वीर साफ होते ही ‘प्लान बी' के तहत तत्काल जदएस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया।
त्रिशंकु विधानसभा के आसार को देखते हुए पार्टी ने चुनावी नतीजों से ठीक एक दिन पहले कल अपने दो वरिष्ठ नेताओं अशोक गहलोत और गुलाम नबी आजाद को बेंगलुरू भेजा। पार्टी सूत्रों के मुताबिक कई एग्जिट पोल में कर्नाटक विधानसभा चुनाव नतीजों में खंडित जनादेश की तस्वीर सामने आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी गोवा और मणिपुर जैसी स्थिति से निपटने के लिए पहले से तैयारी रखना चाहते थे।
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कल देर शाम दिल्ली से बेंगलुरू पहुंचे वरिष्ठ नेता वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के आवास पर भी पहुंच गए थे। उनमें पार्टी के राज्य प्रभारी केसी वेणुगोपाल भी शामिल थे। कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने भाषा को बताया, ''मणिपुर और गोवा में जो हुआ उसके देखते हुए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व खासकर राहुल गांधी प्लान बी के विकल्प पर पहले ही तैयारी कर चुके थे। इसी के तहत गहलोत और आज़ाद को कर्नाटक भेजा गया।''
पार्टी सूत्रों का कहना है कि रात में ही गहलोत और आजाद ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा से फोन पर बात की और त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में जदएस का समर्थन करने के फैसले से उनको अवगत कराया। सूत्रों के मुताबिक पार्टी कुमारस्वामी के नेतृत्व में बनने वाली सरकार को बाहर से समर्थन देगी। गौरतलब है कि कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार गठन के लिए जदएस को बिना शर्त समर्थन की पेशकश की है।
कर्नाटक में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलता दिखाई नहीं दे रहा है। अब तक के नतीजों और रुझानों के मुताबिक भाजपा को 104, कांग्रेस को 76 और जदएस-बसपा गठबंधन को 40 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं। बहुमत का जादुई आंकड़ा 112 सीटों का है।