तेलंगाना पुलिस की ‘फेस रिकग्निशन तकनीक’ ने गुमशुदा लड़की का लगाया पता

हैदराबाद: तेलंगाना पुलिस द्वारा विकसित चेहरा पहचानने वाले उपकरण ने असम की एक लड़की को उसके परिवार से मिलाने में मदद की। असम के लखीमपुर में बोगीनोदी की रहने वाली अंजलि तिग्गा आजीविका की तलाश में दिल्ली आयी थी। हालांकि पिछले साल सितंबर में वह अपने माता-पिता को बताये बगैर असम लौट आयी और सोनितपुर के पास काम शुरू कर दिया।
रेलवे पुलिस ने अंजिल को सड़क पर भटकते पाया और उसे बाल कल्याण समिति के सुपुर्द कर दिया। समिति ने उसे तेजपुर स्थित आश्रय गृह भेज दिया। उसके माता पिता ने पिछले साल अगस्त में पुलिस में उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करायी थी।
चेहरा पहचानने वाला सॉफ्टवेयर ‘दर्पण' देश भर में विभिन्न बचाव शिविरों में रह रहे बच्चों और व्यक्तियों का डाटा रखता है। यह सॉफ्टवेयर लापता लोगों की तस्वीरों को इन बचाव शिविरों में रहने वालों की तस्वीरों से मिलान करने की कोशिश करता है।
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तेलंगाना की आईजीपी (कानून व्यवस्था), महिला सुरक्षा शाखा स्वाति लाकड़ा ने बताया कि ‘दर्पण' की शुरुआत इसी साल अगस्त में हुई। इसकी मदद से असम के तेजपुर जिले के सोनितपुर में बाल गृह में अंजलि की पहचान की गयी। लाकड़ा ने बताया कि इसके बाद पुलिस ने उसके माता पिता से संपर्क किया और उन्हें अंजलि का पता बताया, जिससे वह अपने परिवार से वापस मिल सकी।