महाराष्ट्र मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को जारी किया नोटिस, कल फिर होगी सुनवाई

मुंबई/ नई दिल्ली : शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की संयुक्त याचिका पर हो रही सुनवाई पर सबकी निगाहें हैं। उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ सुनवाई की।
- सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया, कल सुबह 10.30 बजे फिर सुनवाई होगी। कल सुबह सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता जवाब देंगे। गवर्नर को दी गई चिट्टियों की जानकारी देंगे। केंद्र, राज्य और सीएम फड़णवीस और अजित पवार को नोटिस दिया गया।
SC issues notice to Centre, Maharashtra Govt, Devendra Fadnavis&Ajit Pawar on Congress-NCP-Shiv Sena's plea. We request Solicitor General Tushar Mehta to produce relevant documents from Guv’s letter for inviting BJP to form govt & letter of support of MLAs by 10.30 am tomorrow. pic.twitter.com/Rt4LHAn0J0 — ANI (@ANI) November 24, 2019
- जस्टिस रमन्ना ने कहा कि हर प्रक्रिया के लिए नियम तय हैं। सदन में बहुमत साबित करना ही पड़ेगा। राज्यपाल किसी को अचानक नियुक्त नहीं कर सकते हैं।
- भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी ने तुरंत फ्लोर टेस्ट कराने का विरोध करते हुए कहा कि पार्टियों को दो-तीन दिनों का वक्त दिया जाए। ऐसी कोई जल्दबाजी नहीं कि आज ही सुनवाई हो। राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाना गलत है। राज्यपाल कोर्ट का सामने जवाबदेह नहीं है।
-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें दो राय नहीं है कि फ्लोर टेस्ट बहुमत साबित करने का सबसे अच्छा तरीका है।
- केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के पास सरकार बनाने का मौलिक अधिकार नहीं है और उनकी याचिका को मंजूरी नहीं दी जा सकती है।
Abhishek Manu Singhvi,appearing for NCP-Congress, on Congress-NCP-Shiv Sena's plea: Supreme Court has consistently ordered floor tests to be held immediately whether it’s in UP in 1998 or Karnataka in 2018. May the best person win, let’s have the composite floor today or tomorrow pic.twitter.com/UDXkAzaOCo — ANI (@ANI) November 24, 2019
- एनसीपी के वकील अभिषेक मनु सिंधवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अजित पवार के पास जो समर्थन की चिट्टी थी वह गैर कानूनी है। समर्थन की चिट्ठी की जांच क्यों नहीं कराई गई। राज्यपाल ने प्रक्रिया का पालन नहीं किया। जोड़तोड़ की राजनीति को रोकना जरूरी है। गवर्नर रातों रात कैसे फैसला ले सकते हैं। बीजेपी ने राज्यपाल के साथ मिलकर लोकतंत्र की हत्या की। सिंधवी ने कहा कि सोमवार को प्रोटेम स्पीकर चुना जाए। विधायकों से शपथग्रहण के बाद बहुमत साबित हो सकता है। फ्लोर टेस्ट का लाइव टेलिकास्ट होना चाहिए। सीनियर विधायक प्रोटेम स्पीकर बने। सिंधवी ने गोवा और कर्नाटक का हवाला दिया। कोर्ट आज या कल फ्लोर टेस्ट का आदेश दे।
Mukul Rohatgi, appearing for #Maharashtra BJP on Congress-NCP-Shiv Sena's plea: Can the SC order the Governor to advance floor test? The petition is without annexures, they don’t know anything, they were sleeping for three weeks. There is no supporting document to their claims. — ANI (@ANI) November 24, 2019
- वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बन चुकी है, रविवार को कोर्ट में सुनवाई नहीं होनी चाहिए। मैं बीजेपी के विधायकों की तरफ से हूं।
सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल अपनी बात रख रहे हैं।
- जस्टिस अशोक भूषण बोले- राज्यपाल संतुष्ट होंगे, तभी आमंत्रण दिया होगा।
- जस्टिस रमना बोले- आपके पास कुछ है कि राज्यपाल को क्या लिखित दिया गया। इस पर सिब्बल ने कहा कि हमारे पास कुछ नहीं है।
- तुरंत फ्लोर टेस्ट कराया जाए। अगर उनके पास बहुमत है तो साबित करें।
- राज्यपाल को क्या कागजात दिए गए। उन्होंने कितना वक्त फ्लोर टेस्ट के लिए दिया है हमें पता नहीं
- एक दिन पहले हमने प्रेस कांफ्रेस कर गठबंधन के बारे में बताया। फिर सुबह राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया।
Kapil Sibal appearing for Shiv Sena in Supreme Court, on Shiv Sena, NCP and Congress' plea says, "We have seen this in Karnataka also. If they (BJP) have the majority, then let them show their majority." — ANI (@ANI) November 24, 2019
शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस ने शनिवार रात उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर भाजपा के देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया।
साथ ही, विधायकों की खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए तुरंत ‘शक्ति परीक्षण' कराने का भी अनुरोध किया है। इस याचिका पर उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ रविवार को सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट रविवार सुबह 11.30 बजे शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की संयुक्त याचिका पर सुनवाई करेगी।
शीर्ष न्यायालय में इस मामले पर सुबह साढ़े ग्यारह बजे सुनवाई शुरू होगी। तीनों पार्टियों ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए उन्हें आमंत्रित करने का राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को निर्देश देने की भी मांग की। यह भी कहा गया है कि उनके पास 144 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने ‘भेदभावपूर्ण व्यवहार' किया और ‘‘भाजपा द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने में उन्होंने खुद को मोहरा बनने दिया।'' तीनों दलों ने 24 घंटे के भीतर तुरंत शक्ति परीक्षण कराने का भी अनुरोध किया, ताकि विधायकों की खरीद-फरोख्त को और महा विकास आघाडी (एमवीए) को मिलाकर किसी भी तरह से सत्ता हासिल करने के अवैध प्रयासों को रोका जा सके।
तीनों दलों की तरफ से वकील सुनील फर्नांडिस द्वारा दायर याचिका में कहा गया, ‘‘...राज्यपाल ने भेदभावपूर्ण तरीके से काम किया और राज्यपाल पद की गरिमा का मजाक बनाया।'' इसमें कहा गया कि कोश्यारी का शनिवार का कृत्य ‘‘23 नवंबर को शपथ ग्रहण कराना केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर राज्यपाल के काम करने का सटीक उदाहरण है।''
याचिका में कहा गया कि इस मामले के तथ्य दर्शाते हैं कि राज्यपाल ने ‘‘संवैधानिक पद की गरिमा को कमतर किया और अवैध तरीके से सत्ता हड़पने की भाजपा की इच्छा के लिये खुद को मोहरा बना दिया।''
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फर्नांडिस के जरिये दायर याचिका में दावा किया गया है कि ‘‘भाजपा की अल्पमत वाली सरकार'' बनवाने का राज्यपाल का कार्य अवैध और असंवैधानिक है। इसमें आगे कहा गया कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस गठबंधन के पास 288 सदस्यीय विधानसभा में संयुक्त रूप से ‘‘स्पष्ट बहुमत'' है और यह स्पष्ट है कि भाजपा के पास ‘‘144 विधायकों का जरूरी आंकड़ा नहीं है।''
फडणवीस को सरकार बनाने के लिये आमंत्रित किये जाने के फैसले को रद्द करने की मांग करते हुए याचिका में कहा गया कि यह, ‘‘असंवैधानिक, मनमाना और अवैध'' तथा संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने एक अलग याचिका दायर कर राज्यपाल को यह निर्देश देने की मांग की है कि वह विधायकों के शपथ लेने और शक्ति परीक्षण के लिये विशेष सत्र बुलाएं।