जम्मू कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने से भाजपा को होगा यह बड़ा फायदा...!

नई दिल्ली : आर्टिकल 370 में बदलाव के साथ जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन का भी प्रस्ताव पारित किया गया है। जम्मू कश्मीर अब राज्य नहीं रहा है। अब यह केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जाना जाएगा। एक का नाम जम्मू कश्मीर और दूसरे का नाम लद्दाख होगा। अब वहां सिर्फ आम चुनाव ही होंगे। जम्मू कश्मीर में अब तक 22 जिले थे। आगे 20 ही रह जाएंगे। लद्दाख में 2 जिले होंगे। 370 हटने से घाटी की राजनीति भी बदलेगी।
अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने की वजह से जम्मू कश्मीर में विधानसभा की 7 सीटों का इजाफा संभव है। अभी तक राज्य मं 87 सीटें थीं। इनमें से 4 लद्दाख की थी। अब यहां विधानसभा नहीं होगी। इससे जम्मू कश्मीर में 83 सीटें बचेंगी। गृह मंत्री शाह द्वारा पेश जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के मुताबिक परिसीमन के बाद इन 83 सीटों की संख्या 90 हो जाएंगी। हालांकि 24 सीटें पीओके की जोड़ने पर विधानसभा सीटों की संख्या 114 हो जाती है। हालांकि इन पर चुनाव नहीं होते हैं।
नया परिसीमन लागू होते ही जम्मू में बढेंगी विधासभा की सीटें, बीजेपी को होगा फायदा
जम्मू कश्मीर पहले 87 विधानसभा सीटें थी। लद्दाख को अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के बाद 4 सीटें कम हो जाएंगी। अगर वर्तमान परिसीमन लागू रहा तो 83 विधानसभा सीटें ही रहेंगी। इसमें से 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जम्मू इलाके में 37 में से 25 सीटों पर जीत मिली थी। इस तरह से वह राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी। जबकि 28 सीटों के साथ पीडीपी नंबर वन के पोजिशन पर रही थी। भाजपा को सारी सीटें जम्मू और लद्दाख से ही मिली थी। फिलहाल सरकार और चुनाव आयोग नए सिरे से परिसीमन करवाता है तो जम्मू कश्मीर क्षेत्र में 107 विधानसभा सीटें हो सकती हैं। अकेले जम्मू में 62 विधानसभा सीटें हो जाएंगी।
पिछले चुनाव में जिस तरह जम्मू के लोगों ने भाजपा के पक्ष में वोट किया। उससे साफ है कि परिसीमन के बाद भाजपा जम्मू कश्मीर में मजबूती के साथ उभर सकती है। भाजपा ने जम्मू क्षेत्र की दो लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की है।ऐसे में सभव है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा राज्य में अपने दम पर सरकार बना सकती है।