सीएम येदियुरप्पा ने पास किया बहुमत परीक्षण, विपक्ष ने नहीं की मत विभाजन की मांग

बेंगलुरू : कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया है। बागी विधायकों को स्पीकर द्वारा अयोग्य करार दिए जाने के बाद येदियुरप्पा की राह आसान बताई जा रही थी। विपक्ष ने भी मत विभाजन की मांग नहीं रखी।
बीएस येदियुरप्पा ने अपनी तीन दिन पुरानी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए राज्य विधानसभा में सोमवार को विश्वास प्रस्ताव पेश किया। येदियुरप्पा ने कम संख्या बल वाली विधानसभा में एक पंक्ति का प्रस्ताव पेश किया, जिसमें कहा गया कि सदन को उनके नेतृत्व वाली सरकार में भरोसा है।
अपनी टिप्पणी में येदियुरप्पा ने कहा कि वह “प्रतिशोध की राजनीति” में लिप्त नहीं होंगे और वह “भूलने एवं माफ करने के सिद्धांत” में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक तंत्र पटरी से उतर चुका है और उनकी प्राथमिकता इसे वापस पटरी पर लाने की है।
रविवार को कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत से ठीक एक दिन पहले, विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने कांग्रेस और जनता दल-सेकुलर (जद-एस) के 14 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया था। अपनी पार्टियों द्वारा व्हिप जारी किए जाने के बावजूद ये विधायक 23 जुलाई को सदन में उपस्थित नहीं हुए थे।
Karnataka Chief Minister BS Yediyurappa wins trust vote through voice vote. pic.twitter.com/DvzzMmYCqa — ANI (@ANI) July 29, 2019
23 जुलाई को जब पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी सदन में विश्वास मत लेकर आए, तब 14 विधायक सदन में उपस्थित होने में विफल रहे, जिस कारण 6 वोटों से कुमारस्वामी की सरकार गिर गई।
विधानसभा अध्यक्ष ने पत्रकारों से कहा कि विधायकों को अयोग्य ठहराने के कारणों में से एक संविधान की 10वीं अनुसूची की धारा 191 (2) है।
उन्होंने कहा, "अपनी पार्टियों द्वारा व्हिप जारी किए जाने के बावजूद कांग्रेस के 11 और जद-(एस) के 3 विधायक 23 जुलाई को सदन में विश्वास मत के दौरान उपस्थित नहीं रहे। ऐसा करके उन्होंने दल-बदल विरोधी कानून का उल्लंघन किया है।"
विश्वास मत प्रस्ताव ध्वनि मत से ही गिर गया था इसके बाद उस वक्त विपक्ष के नेता रहे येदियुरप्पा के आग्रह पर मत विभाजन किया गया। 205 सीटों वाली विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष और एक प्रस्तावित सदस्य को हटाकर बहुमत की संख्या 103 रह गई थी। गठबंधन सरकार के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि 105 वोट भाजपा के पक्ष में रहे।
पार्टियों द्वारा व्हिप जारी किए जाने के बावजूद विधानसभा में मौजूद नहीं रहने पर 25 जुलाई को कांग्रेस के तीन बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
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अयोग्य घोषित हुए विधायक
अयोग्य घोषित हुए 11 कांग्रेस विधायकों में प्रताप गौड़ा पाटिल (मास्की), बी.सी. पाटिल (हिरेकर), शिवराम हेब्बार (येलापुर), एस.टी. सोमशेखर (यशवंतपुर), बीरती बसवराज (के. आर. पुरम), आनंद सिंह (विजयनगर), आर. रोशन बेग (शिवाजीनगर), मुनिरत्न (आर. आर. नगर), के. सुधाकर (चिक्काबल्लापुर), एम.टी.बी. नागराज (होसकोटे) और श्रीमंत पाटिल (कागवाड) शामिल हैं।
इसी क्रम में अयोग्य करार जद-(एस) के तीन विधायक ए.एच. विश्वनाथ (हुनसुर), नारायण गौड़ा (के.आर. पेटे) और के. गोपालैया (महालक्ष्मी लेआउट) हैं।