कर्नाटक में हिली JDS-कांग्रेस सरकार की कुर्सी, दो विधायकों ने लिया समर्थन वापस

बेंगलुरु: कर्नाटक के दो निर्दलीय विधायकों ने सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इन विधायकों के नाम हैं एच नागेश और आर शंकर। दोनों विधायकों ने समर्थन वापसी की चिट्ठी राज्यपाल को भेज दी है।
वहीं कर्नाटक के डीप्टी सीएम जी परमेश्वर ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया है।
कर्नाटक में सात माह पुरानी जेडीएस-कांग्रेस सरकार संकटों में घिर गई है। आरोपों के मुताबिक बीजेपी ने 'ऑपरेशन लोटस' तहत जेडीएस नीत सरकार गिराने की पूरी जुगत कर रही है। वहीं कांग्रेस के 5 विधायकों के गायब होने से पार्टी में खलबली है। बाकी कुनबा समेटने की गरज से कांग्रेस ने अपने विधायकों को मुंबई के होटल में ठहरा दिया है। जहां उनसे किसी को संपर्क नहीं करने दिया जा रहा है।
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उधर खरीद फरोख्त की राजनीति को देखते हुए बीजेपी ने भी अपने कई विधायकों को गुरुग्राम के होटल में टिका दिया है। राज्य में 224 सीटें जिसमें 104 बीजेपी, कांग्रेस 80, जेडीएस-37, बीएसपी-01, केपीजेपी-01, निर्दलीय-01 सीटें है। फिलहाल राज्य में कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार चल रही है।
गुरुग्राम के आईटीसी ग्रैंड भारत होटल में खुद बीजेपी नेता येदियुरप्पा जमे हुए हैं। यहां बीजेपी के कुल 103 विधायकों के साथ लगातार वे बातचीत कर रहे हैं। कहीं कांग्रेसी नेता यहां आकर हंगामा न करें, लिहाजा सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए हैँ।
2 Independent MLAs, H Nagesh and R Shankar, withdraw their support from Karnataka govt. pic.twitter.com/C34u3BNFOb — ANI (@ANI) January 15, 2019
बीजेपी नेताओं का दावा है कि जल्दी ही जेडीएस और कांग्रेस के कुछ विधायक इस्तीफा देंगे। अगर ऐसा होता है तो बीजेपी कर्नाटक में सरकार के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव ला सकती है। हालांकि दल बदल कानून से बचते हुए कम से कम पंद्रह विधायकों का इस्तीफा होगा तभी बीजेपी के लिए कुछ उम्मीद बन सकती है।
मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने दावा किया है कि उनकी सरकार सुरक्षित है। दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी के बावजूद उनकी सरकार बहुमत में है। कुमार ने कहा कि उन्हें अपना सामर्थ्य पता है, लिहाजा वो कतई घबराए हुए नहीं हैं।
हवेरी जिले की राणेबेन्नुर विधानसभा सीट से विधायक शंकर क्षेत्रीय कर्नाटक प्रग्नवंता जनता पार्टी से संबद्ध हैं, वहीं नागेश कोलार जिले की मुलबागल विधानसभा सीट से विधायक हैं।
शंकर ने संवाददाताओं से कहा, "मैंने जद(एस)- कांग्रेस सरकार को अपना समर्थन अच्छी सरकार की उम्मीद से दिया था, लेकिन मुझे निराशा मिली।"
दोनों निर्दलीय विधायकों ने कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई आर. वाला को भेजे समर्थन वापसी के अपने पत्र को मीडिया से साझा किया।
मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार में वन मंत्री रहे शंकर को पिछले साल 22 दिसंबर को मंत्रिमंडल के पुनर्गठन और विस्तार के दौरान मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया था।
मंत्री पद से हटाए जाने से पहले ही उन्होंने मंत्रालय के आधिकारिक लेटर पैड पर राज्यपाल से समर्थन वापस लेने की जानकारी दी थी।
दोनों विधायकों ने अपना समर्थन गठबंधन साझेदारों जद(एस), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त को लेकर जारी राजनीतिक घमासान के बीच लिया है। कांग्रेस आरोप लगा रही है कि भाजपा उसके विधायकों को तोड़ रही है।
संवाददाताओं से बातचीत में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के.सी. वेणुगोपाल ने भाजपा पर विधायकों की खरीदन-फरोख्त करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के.सी. वेणुगोपाल ने पार्टी की प्रदेश इकाई के नेताओं संग बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, "कुमारस्वामी सरकार को कोई खतरा नहीं है, लेकिन भाजपा, विधायकों को खरीदकर सरकार को अस्थिर करने का बुरी तरह प्रयास कर रही है।"
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा कांग्रेस के प्रत्येक विधायक को रुपयों से तोड़ने के लिए उनसे संपर्क कर रही है।
दो विधायकों के समर्थन वापस लेने पर कांग्रेस नेता और उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वरा ने भाजपा पर स्थिर सरकार को गिराने का प्रयास करने का आरोप लगाया है।
परमेश्वरा ने संवाददाताओं से कहा, "भाजपा धनबल से विधायकों को खरीदने का प्रयास कर रही है। उनका लक्ष्य सरकार गिराना है, लेकिन हमें अपनी सरकार बरकरार रहने का विश्वास है, क्योंकि हमें सभी विधायकों का समर्थन प्राप्त है।"
कर्नाटक की 225 सदस्यीय विधानसभा में अध्यक्ष समेत कांग्रेस के 80 विधायक, जद (एस) के 37 और भाजपा के 104 विधायक हैं।
भाजपा की प्रदेश इकाई के प्रवक्ता वामनाचार्य ने खरीद-फरोख्त के आरोपों का खंडन किया, हालांकि उन्होंने अपने 104 विधायकों में से 99 विधायकों को राष्ट्रीय राजधानी से सटे गुरुग्राम स्थित एक निजी रिसोर्ट में ठहरा रखे हैं।
उन्होंने कहा, "99 विधायक एक निजी रिसोर्ट में हैं, वहीं अन्य पांच विधायक दिल्ली में हैं और हमारे संपर्क में हैं।"